Upgrade Jharkhand News. बहुभाषीय साहित्यिक संस्था ‘सहयोग’द्वारा शेक्सपियर जयंती के उपलक्ष्य में विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में किया गया। इसबार विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर पद्मश्री नरेंद्र कोहली की समग्र रचनाओं पर भी चर्चा हुई। इस अवसर पर डॉ.मनोज पाठक आजिज़ जो आरका जैन विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक हैं मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सम्मानित वक्ता के रूप में श्रीमती सुधा गोयल, डॉ. संध्या सिन्हा आमंत्रित थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहयोग की संरक्षिका डॉ.रागिनी भूषण ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवल एवं अतिथियों को अंगवस्त्र तथा स्मृति चिन्ह देकर हुआ। साथ ही महान नाटककार शेक्सपीयर और नरेंद्र कोहली को श्रद्धांजलि स्वरूप पुष्प अर्पित भी किया गया। अतिथियों का स्वागत सहयोग की संरक्षिका डॉ.जूही समर्पिता ने किया। डॉ.जूही समर्पिता ने शेक्सपीयर की कालजयी रचनाओं का उल्लेख करते हुए नरेंद्र कोहली के साथ बिताए अंतरंग संबंधों को भी बताया। एक रात में ‘तोड़ो कारा तोड़ो’ को पढ़कर सुबह ‘अक्षर कुंम्भ’ में समीक्षा करने का विश्वास कैसे नरेंद्र कोहली ने उनपर जताया था। यह बहुत बड़ी चुनौती थी, परन्तु इस कर्तव्य के सफलतापूर्वक निर्वहन से कोहली की प्रशंसा मिली जो उनके जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है। डी.बी.एम.एस. की बी.एड छात्राओं अर्पिता चक्रवर्ती , सुभांगी घोष , वर्षा श्रीवास्तव के द्वारा शेक्सपीयर के कुछ महत्वपूर्ण नाटकों के अंश का सशक्त मंचन किया गया। अपने प्रभावशाली प्रस्तुति से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
डॉ.संध्या सिन्हा ने शेक्सपियर के नाटकों को भारतीय पौराणिक कथाओं के विभिन्न प्रसंगों जोड़ा जो बहुत ही प्रभावोत्पादक रहा। शेक्सपियर की रचनाओं के तत्व और उपकरण भारतीय साहित्य और जीवन में उनके पूर्व से ही मौजूद रहे हैं ...और यही कारण है कि भारतीय बुद्धिजीवियों ने इनमें देशी सौंदर्यशास्त्र को ढूँढ करके उन्हें भारत की मुख्य और क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित करके शेक्सपियर की कृतियों को अपनाया, सार्वभौमिक सिद्ध किया। नवीन रूप में संध्या जी की प्रस्तुति सबको बहुत ही भाई।
श्रीमती सुधा गोयल ने नरेंद्र कोहली के उपन्यास सैरंध्री पर प्रकाश डालते हुए संक्षेप में मुख्य घटनाओं को सुनाया। पांडवों के अज्ञात वास के समय महारानी द्रौपदी किस तरह दासी के रूप में रहीं और उसके मनोभाव क्या रहे इसका अंकन उपन्यास के आधार पर सुधा गोयल ने किया। उन्होंने पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर शेक्सपियर की जीवनी और उनके लेखन पर विस्तार से चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर मनोज पाठक आजिज़ ने कहा कि शेक्सपियर की लोकप्रियता आज पूरे विश्व में है। विस्तार से चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि ने बताया कि इंग्लैंड में महारानी एलिजाबेथ के शासनकाल में शेक्सपियर लिखा करते थे और उन्हें राजघराने के राजाओं से ही निर्देशन और लेखन की प्रेरणा मिली थी।
मात्र स्कूली शिक्षा प्राप्त शेक्सपियर का अंग्रेज़ी भाषा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान कैसे रहा है ,यह भी मुख्य अतिथि ने बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ.रागिनी भूषण ने नरेंद्र कोहली से जुड़ी यादों को साझा करते हुए उनके उपन्यासों की विस्तृत चर्चा की साथ ही नरेंद्र कोहली के गहन अध्ययन के प्रति नतमस्तक होते हुए कुंती के जीवन के उन पहलुओं को कोहली जी के उपन्यासों के माध्यम से बताया। जिसके विषय में हम बहुत कम जानते हैं। अंत में महत्वपूर्ण विचारों को साझा करने के लिए सभी अतिथियों सह वक्ताओं को सहयोग की अध्यक्ष डॉ.मुदिता चन्द्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सहयोग के उन सदस्यों के प्रति भी आभार जताया जिसके कारण कार्यक्रम सफल हुआ। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ.अनिता शर्मा जी ने किया।
इस अवसर पर विद्या तिवारी, माधुरी मिश्रा, ज्योत्स्ना अस्थाना, हरि मित्तल,कृष्णा सिन्हा, अरूणा झा, वसंत जमशेदपुरी, वीणा रानीनंदिनी, डॉ.आशा गुप्ता, शंकुतला शर्मा, लक्ष्मी कुमारी, सबिता पॉल, शालिनी प्रसाद, हीरा लाल गुप्ता, अनुज प्रसाद, अंजनी सहाय दीपिका बैनर्जी आदि अनेक सदस्य उपस्थित थे।
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