Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal. ऑपरेशन सिंदूर की अमर गाथा लिखने वाली सेना के प्रति राष्ट्र की भूमिका, The nation's role towards the army that wrote the immortal saga of Operation Sindoor


Upgrade Jharkhand News. भारतीय सैनिकों का इतिहास सदा से अदम्य साहस, समर्पण और देशभक्ति से भरा हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर भी उसी गौरवशाली गाथा का नया अध्याय  है। हमारी सेना ने अद्वितीय वीरता दिखाते हुए दुश्मन को नए  उपकरणों से , आक्रमण तथा सुरक्षा में तकनीकी कौशल से  मुंहतोड़ जवाब दिया। यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि हर उस सैनिक के संघर्ष का प्रतीक है, जो सीमा पर देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने को हमेशा तैयार रहता है। भारत की वायु सेना के मिसाइल आक्रमण बेमिसाल थे। देश की गुप्तचर एजेंसी ने सफलता की अद्भुत कहानी लिखी है। सीमा पर थल सेना अग्निपरीक्षा से गुजर रही थी। जवानों का संघर्ष अद्वितीय है। 



ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैनिकों ने न केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना किया, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को मजबूत रखा। ऊँचे पहाड़ों, खतरनाक मौसम और दुर्गम इलाकों में घात लगाए दुश्मन से लोहा लेना , बिना सीमा पार किए पाकिस्तान पर हमारे देश के वीर सैनिकों ने अभूतपूर्व प्रहार किए। यह असाधारण बात थी। हर उड़ान,हर कदम पर जान का जोखिम, परिवार से दूरियाँ, और अनिश्चितता के बीच सैन्य दल का धैर्य असाधारण था। अब जबकि सीमा पर अपेक्षाकृत शांति है, देशवासियों का कर्तव्य है कि हम सब अपनी अपनी तरह से हमारी सेना के प्रति संजीदगी से कृतज्ञता ज्ञापित करें । सैनिकों के परिवारों का सहारा बनें। जब जवान सीमा पर डटे होते हैं, तो उनके परिवार की चिंता उनके मन में हमेशा बनी रहती है। ऐसे में समाज का दायित्व है कि वह सेना के साथ खड़ा रहें। हमारा आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग सैनिकों के परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए मदद बन सकता है। हमारे छोटे-छोटे दान, स्कॉलरशिप या रोजगार के अवसर उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।  



हम सेना को मानसिक संबल  दे सकते हैं। सैन्य अभियानों के बाद जवानों और उनके परिवारों को मनोवैज्ञानिक समर्थन की आवश्यकता होती है। काउंसलिंग सेवाएँ, समर्थन समूह और मनोरंजन के कार्यक्रम उन्हें तनाव से उबारने में मदद कर सकते हैं।  शहीदों के बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देकर हम उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। इसी तरह, परिवार के सदस्यों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना भी महत्वपूर्ण है।  स्थानीय समुदाय इन परिवारों के साथ त्यौहारों, समारोहों या रोजमर्रा के कार्यों में शामिल होकर उन्हें अकेलापन महसूस न होने दें। अपना टैक्स समय पर देना हर नागरिक का कर्तव्य होता है। इसी से हमारा रक्षा बजट और सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।



सैनिकों का सम्मान केवल शब्दों तक सीमित नहीं होना चाहिए। छोटे-छोटे प्रयास, जैसे सैन्य कल्याण कोष में योगदान, रक्तदान शिविरों में भाग लेना, या सेना के अस्पतालों में स्वयंसेवा करना, हमारी कृतज्ञता को व्यक्त करने के तरीके हैं। सोशल मीडिया पर उनकी बहादुरी की कहानियाँ साझा करके भी हम समाज में जागरूकता फैला सकते हैं।  राष्ट्रीय स्तर पर सारे मतभेद भुलाकर एकजुटता ही सेना की ताकत होती है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियान हमें याद दिलाते हैं कि देश की सुरक्षा का दायित्व सिर्फ सैनिकों पर नहीं, बल्कि हर नागरिक पर है। उनके परिवारों की मदद करना, उनके संघर्षों को समझना और उन्हें सम्मान देना ही सच्ची देशभक्ति है। जब देश का हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभाएगा, तभी हमारी सेनाएं  निडर होकर सीमा पर डटे रहेंगी और हम निश्चिन्त होकर शांति से सो सकेंगे। विवेक रंजन श्रीवास्तव



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template