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Bhopal. व्यंग्य :कैमरे की नजर में बेशर्मी के हाईवे , Satire: Highways of shamelessness in the eyes of the camera

 


Upgrade Jharkhand News. कई स्थानों पर लिखा रहता है कि आप कैमरे की नजर में हैं, मगर वहाँ कैमरे नही होते। जहां कैमरे होते हैं, वहाँ कैमरों पर नजर नहीं जाती। फिर भी कैमरे अपना कर्तव्य बखूबी निभाते हैं। लोगों के चाल, चरित्र और चेहरे को जन जन के सम्मुख लाते हैं। एक समय था कि जब दिशा नायक सच में देश के मार्ग दर्शक हुआ करते थे। जनता उनके जैसा बनने का प्रयास किया करती थी। वे अभिप्रेरक की भूमिका में रहते थे। अब नेता वैसे नही रहे। अब नेता शब्द ही गाली का पर्याय बन चुका है। नेता का नाम सुनते ही गैंडे जैसी मोटी चमड़ी वाले किसी थुलथुल देह का चेहरा सामने आता है, जिससे घिन आती है। लगता है कि नेता अब चरित्र निर्माण की पाठशाला में नहीं जाते । बेशर्मी का हाई वे उन्हें अधिक सुहाता है। 



किसी ने कहा है कि एक चेहरा कई मुखौटे हैं, मंच पर तुम जिसे बुलाते हो। जिसने भी कहा गलत नहीं कहा। सार्वजनिक और निजी जीवन में अंतर होता ही है। अपने घर में व्यक्ति को चड्डी, बनियान, नेकर या लुंगी में विचरण करने की छूट रहती है, वह मनमाफिक लुंगी नृत्य भी कर सकता है, मगर सार्वजनिक जीवन में ऐसा नहीं कर सकता। सड़क पर, किसी सभा में या किसी आयोजन में उसे साफ सुथरे परिधान पहनकर करीने से बालों में कंघी करके ही जाना होता है। कहने का आशय यह है कि अपने अंतरंग पलों का प्रदर्शन सार्वजनिक नहीं किया जाता। युग बदल रहा है, अब सोशल मीडिया अधिक सक्रिय है। सार्वजनिक स्थलों पर कैमरे लगे हैं, जो जाने अनजाने में किये गए किसी भी कृत्य को अपनी आँखों में कैद करके अपने दिल की एल्बम में सुरक्षित कर लेते हैं, एल्बम का कार्य ही यही है, कि जब चाहो यादगार पलों के दर्शन कर लो। बहरहाल बात निजी और सार्वजनिक जीवन की चल रही है। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों के लिए कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं, जिनमें सार्वजनिक जीवन अधिक महत्वपूर्ण होता है तथा व्यक्ति विशेष का करियर ही उसकी सार्वजनिक छवि पर निर्भर करता है। व्यक्ति की भाषा, पहनावा, चाल, चरित्र उसकी योग्यता के मानक होते हैं। चाल, चरित्र और चेहरे के आधार पर व्यक्ति का मूल्यांकन होता है। आजकल कैमरे की पैनी नजर कब किसे अर्श से गिरा कर फर्श पर लाकर पटक दे, किसी को नहीं पता। कैमरे की नजर से नेताओं पर कब शनि की साढ़े साती अपने प्रभाव जमाने लगे, कहा नहीं जा सकता। अपने भाषणों से चर्चा में रहने वाले नेता कभी बिगड़े बोल से मुसीबत में फंस रहे हैं तो कभी सार्वजनिक रूप से अश्लील हरकतों के कारण। वीडियो क्लिप किसी भी दिग्गज नेता की उजागर होती है तथा नेता की पद और प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है। 



किसी के सौंदर्य पर फिदा नेता का चंद पल के लिए बहकना उसे हाईकमान के प्रति जवाबदेह बना देता है। नेता भले ही लाख सफाई दे, कि वीडियो क्लिप में दिखाई दे रही घटना तोड़मोड़ कर दर्शाई गई है या जिस हरकत को अश्लील बताया जा रहा है, वह हरकत नेक थी, किसी पीड़िता के प्रति हमदर्दी का पर्याय थी, किन्तु सत्य को झुठलाना इतना सरल नहीं होता। इस तरह की वीडियो क्लिप तटस्थ होती हैं।  वे पक्ष विपक्ष में बंटी नहीं होती। कुछ कैमरे की नजरों से शनि की साढ़े साती के प्रभाव में आकर अपने करियर में अवरोध उत्पन्न कर लेते हैं और कुछ अन्य प्रकार से अपने परिवार का समर्थन प्राप्त करने की स्थिति में न होने के चलते परिवार से बेदखल हो जाते हैं। वैसे भी जब किसी के बुरे दिन आते हैं, तो कह कर नहीं आते। कुछ विष कन्याएं उनके जीवन में आती हैं तथा उनके करियर को बर्बाद करके अपने रास्ते चली जाती है, मगर विषकन्याओं का साथ निभाने में कैमरा भरपूर साथ निभाता है। सुधाकर आशावादी



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