Upgrade Jharkhand News. नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया एवं गोपाल कृष्ण गोखले की जयंती मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे ने कहा कि महाराणा प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप का बचपन भील समुदाय के साथ बीता, भीलों के साथ ही वे युद्ध कला सीखते थे , भील अपने पुत्र को कीका कहकर पुकारते है, इसलिए भील महाराणा को कीका नाम से पुकारते थे। लेखक विजय नाहर की पुस्तक हिन्दुवा सूर्य महाराणा प्रताप के अनुसार जब प्रताप का जन्म हुआ था उस समय उदयसिंह युद्व और असुरक्षा से घिरे हुए थे। कुंभलगढ़ किसी तरह से सुरक्षित नही था। जोधपुर के शक्तिशाली राठौड़ी राजा मालदेव उन दिनों उत्तर भारत में सबसे शक्तिसम्पन्न थे।
महादेव गोविन्द रानडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णतः सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। स्व-सरकार व्यक्ति की औसत चारित्रिक दृढ़ता और व्यक्तियों की क्षमता पर निर्भर करती है। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे प्रोफेसर सुधीश कुमार, जयदीप पांडे, शांति राम महतो, प्रकाश महतो, देवाशीष मंडल, शुभम साहू, पवन महतो,अजय मंडल, मोहन सिंह आदि उपस्थित रहे।
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