Jamshedpur (Nagendra) । कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जातिगत जनगणना के फैसले का स्वागत करते हुए सिख समुदाय से आग्रह किया है कि वे अपनी जाति की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए बुजुर्ग से पूछ ले। कुलविंदर सिंह के अनुसार सिखों को भ्रमित करने के लिए सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफॉर्म पर गलत नफरती संदेश दिया जा रहा है कि सिख अपनी धर्म और जाति के कॉलम में केवल और केवल सिख दर्ज कराएं। अथवा हिंदू दर्ज हो जाएगा।
अधिवक्ता के अनुसार भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 बी हिंदुओं जैनियों सिखों और बौद्धों के सभी वर्ग एवं अनुभागों के लिए हिंदू शब्द का उपयोग करता है। जन्म, नामकरण विवाह एवं मरण संस्कार को छोड़ दें तो हिंदुओं के सभी दीवानी एवं पारंपरिक कानून हिंदू सिख जैन एवं बौद्ध पर समान रूप से लागू होते हैं। यही अनुच्छेद सिखों को अपनी धार्मिक पहचान कृपाण रखने की भी अनुमति देता है। कुलविंदर सिंह के अनुसार हिंदुओं की जातिगत व्यवस्था के कारण ही सिख धर्म के खास वर्ग को संवैधानिक जातिगत आरक्षण , अन्य पिछड़ी जाति एवं अनुसूचित जाति का लाभ मिलता है, अन्यथा सिख फिलासफी मूल्य सिद्धांत के अनुसार जातिगत व्यवस्था को गुरु गोविंद सिंह जी खत्म कर चुके हैं।
इस संवैधानिक व्यवस्था के कारण ही सिखों के कई वर्ग शिक्षा एवं रोजगार में अवसर पाकर समाज और राष्ट्र की बेहतर सेवा कर रहे हैं और विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि सिख अपनी जाति की पहचान अवश्य कर लें। पंजाब से बाहर रहने वाले शायद ही किसी सिख परिवार की वर्तमान एवं नई पीढ़ी को मालूम है कि वह किस जाति का है? यदि जाति नहीं बता सके तो वह सामान्य जाति में गिने जाएंगे और संवैधानिक व्यवस्था का लाभ नहीं ले पाएंगे।
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