Upgrade Jharkhand News. अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत झारखंड प्रांत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के हर्ष के साथ एक काव्यात्मक संध्या का आयोजन भवपाली आवास, भुईयाडीह में किया गया। इस आयोजन में संगठन के सदस्यों के साथ-साथ कुछ सुधि श्रोतागण भी उपस्थित थे। काव्य गोष्ठी का आरंभ स्वामी विवेकानंद और मां भारती के चित्र पर पुष्प अर्पित , माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया गया। सबसे पहले स्वागत करते हुए प्रांत अध्यक्ष डॉक्टर कल्याणी कबीर ने कहा कि हमारे संगठन का उद्देश्य जनहित में कार्य करना है। जनहित और राष्ट्रहित दो अलग-अलग विषय नहीं है ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता हम सभी के लिए हर्ष का विषय है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवाजी क्रांति ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा के निमित्त हम सभी को सदैव संघर्ष, समर्पण और युद्ध हेतु तैयार रहना होगा। इस विकट परिस्थिति में युद्ध से ही शांति और संप्रभुता की रक्षा की जा सकती है।इस काव्यात्मक संध्या का दोहा -छंद के रूप में बहुत ही प्रभावी संचालन किया पर्यावरण आयाम प्रमुख कुमार अमलेंदु ने और धन्यवाद ज्ञापन दिया प्रांत उपाध्यक्ष ऐंजिल उपाध्याय ने। इस आयोजन में कोल्हान प्रमंडल संयोजक वी प्रभु, पर्यावरण आयाम सह प्रमुख वंदना कुमारी, प्रचार-प्रसार टोली प्रमुख अंकेश , महीधर राव, कुशल कुमार की भी उपस्थिति रही।
काव्य प्रस्तुति विवरण:--कवि गोष्ठी में क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवाजी जी क्रांति ने बाल कवि वैरागी की रचना को अपने स्वर में गुनगुनाया --"नस-नस ऐंठ रही जननी के हम उलझे हैं पायल में ,घायल मां को भूल गये हैं मेहंदी महावर काजल में ।"
उपाध्यक्ष ऐंजिल उपाध्याय जी ने गुनगुनाया -
"हमारे पास पिनाक,सुदर्शन,
गांडीव , परशु का घेरा है,
तेरे पास है भीख में मांगा
टूटा हुआ कटोरा है ।"
कुमार अमलेंदु ने कविताओं के माध्यम से कहा --
"तुम जब भी आंख दिखाओगे हम घर में घुसकर मारेंगे ,
शिवा-राणा के वंशज हैं हम ,अजहर मसूद को तारेंगे ।"
आरती शर्मा ने गुनगुनाया--
" बात सिंदुरी है पर ,मन केसरी करना होगा, सिंधु अब तुझे लड़ना होगा।"
सागर चौबे ने गुनगुनाया "
"घी के डब्बे, आम की लकड़ी ,गेंदे का फूल भिजवा देंगे,
पोखरण में ट्रायल लिया था, कराची पर टेस्ट करा देंगे।"
सदस्य रजनी सिंह ने गुनगुनाया
"वीर जवानों की टोली ,बहनों ने बजाई रणभेरी"।
अनीता निधि जी ने कविता पढ़ी ,
"यह आज का भारत है ,
तुम समझते क्यों नहीं हो ? "
छात्रा सिद्धि ने गुनगुनाया --
" सुबह जो सूरज जगता है,
उसमें किसी शहीद का सपना पलता है।"
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