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Chandil विस्थापित मुक्ति वाहिनी ने अधीक्षण अभियंता को 11 सूत्री मांगपत्र सौंपा, The displaced Mukti Vahini handed over an 11-point memorandum of demands to the Superintending Engineer

 


Upgrade Jharkhand News. चाण्डिल बांध के विस्थापितों ने विस्थापित मुक्ति वाहिनी के अगुवाई में झारखण्ड सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा विस्थापितों के हक छीनने के प्रयास का विरोध किया गया है। चांडिल बांध में नौका विहार का संचालन अधिकार विस्थापितों को लम्बे संघर्ष के बाद पुनर्वास हक के रूप में मिला है। इसका अपहरण अवैधानिक और अनैतिक है। झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग ने अब इसे विस्थापितों की सहकारी समिति के बजाय गिरिडीह की एक निजी एजेंसी को दिया गया है जो पुनर्वास नीति 2012 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। इस नीति में स्पष्ट रूप से लिखा है कि जलाशय क्षेत्र के मत्स्य उद्योग एवं पर्यटन उद्योग संबंधी संभावनाओं के दोहन में भी विस्थापितों को संबद्ध किया जाएगा तथा जलाशय में मत्स्य पालन हेतु नवसृजित जलधार की बन्दोवस्ती विस्थापितों के समूहों के साथ किया जाएगा। 



जिससे विस्थापितों परिवारों के आर्थिक पनुर्वास से इस परिसंपत्ति को संबद्ध किया जा सके (प्रावधान के अनुसार)। इस संबंध में उल्लेख करना उचित है कि अथक संघर्ष के बाद बिहार एवं बाद में झारखण्ड सरकार ने पुनर्वास नीति घोषित कर विस्थापितों के हक को सुनिश्चित किया है। इसी क्रम में सबसे पहले 1990 में पहली पुनर्वास नीति बनी जिसे 2003 और 2012 में संशोधित कर बेहतर पुनर्वास पैकेज उपलब्ध कराया गया है। सरकार के किसी विभाग के लिए चांडिल जलाशय का नव सृजित जलाधार राजस्व का स्रोत हो सकता है, परन्तु विस्थापितों के लिए यह आर्थिक एवं भौतिक पुनर्वास का रूप है। पुनर्वास नीति में इनका उल्लेख भी इसी उद्देश्य से किया गया है। वैसे भी विस्थापितों का संपूर्ण पुनर्वास का कार्य पूरा नहीं हुआ है।



इस संबंध में उल्लेख किया जाना उपयुक्त है कि सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना में मुख्य अभियंता द्वारा चाण्डिल बांध के अधीक्षण अभियंता का लिखे गए एक पत्र में (28 जुलाई 2008, पत्रांक-156) स्पष्ट किया गया है कि चांडिल बांध के एफआरएल स्तर तक जल भण्डारण होने के पश्चात ही नौका परिचालन हेतु उपयुक्त स्थल का चयन करना होगा और तभी नौका परिचालन संबंधी निर्णय लिया जा सकेगा। ज्ञात हो कि चांडिल जलाशय में अभीतक एफआरएल स्तर तक जल भण्डारण नहीं हुआ है, तब फिर नौका परिचालन हेतु किसी निजी एजेंसी को कैसे अधिकृत किया गया है?



विस्थापितों का मांग - पर्यटन विभाग द्वारा निकाले गए नौकायान निविदा को रद्द किया जाय और पर्यटन विभाग के सारे योजना को विस्थापित समिति के माध्यम से कराया जाय। चांडिल जलाशय में जिला मत्स्य पदाधिकारी का मनमानी रोका जाय। विस्थापितों के लंबित पुनर्वास दायित्व को तीव्र गति से पूरा किया जाए।  डिमना में नये बस स्टैंड में दुकान बनाकर विस्थापित परिवार को दिया जाय। विस्थापित परिवारों के लिए आवासीय विद्यालय खोला जाय। सभी पुनर्वास स्थल का सीमांकन कार्य संपन्न किया जाए तथा विस्थापितों को आवंटित आवासीय भूखण्डों का राजस्व अभिलेख में दर्ज कर मालिकाना हक दिया जाए। बाँध के पिछले इलाके में लिफ्ट इरीगेशन और डीप बोरिंग की व्यवस्था की जाए। पालना जलाशय योजना को पूरा किया जाए । विस्थापितों को अविलम्ब सरकारी नौकरियों में नियुक्ति किया जाय। चाण्डिल जलाशय के विभिन्न क्षेत्र जैसे दुलमी घाट, लावा घाट, पातकुम घाट, बोराबिन्दा घाट का पर्यटन विकास किया जाय। सभी विकास पुस्तिका में कृतज्ञता पैकेज दिया जाय।



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