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Bhopal हिंसक होते नौनिहाल,कौन जिम्मेदार? Children are becoming violent, who is responsible?

 


Upgrade Jharkhand News. देश के अनेक हिस्सों से ऐसी वारदातों की सूचना आ रहीं हैं जिनमें किशोर वय के बच्चे लगातार छोटी बड़ी अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। हरियाणा में एक प्राइवेट स्कूल में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के मौके पर दो छात्रों ने प्रिंसिपल की चाकू से गोदकर हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि प्रिंसिपल ने छात्रों को बाल कटवाने और शर्ट अंदर करने को कहा था। पुलिस को शक है कि इसी बात से गुस्साए छात्रों ने प्रिंसिपल की हत्या को अंजाम दिया है। घटना हिसार के नारनौंद इलाके में एक प्राइवेट स्कूल की है। जिस समय घटना को अंजाम दिया गया उस समय स्कूल में एग्जाम चल रहा था। हांसी के पुलिस अधीक्षक  अमित यशवर्धन ने बताया कि छात्र अपना यूनिट टेस्ट खत्म करने के बाद प्रिंसिपल ऑफिस पहुंचे। उन्होंने किसी बहाने से प्रिंसिपल जसबीर सिंह को बाहर चलने का अनुरोध किया, फिर वे उन्हें एक ऐसी जगह ले गए जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं थे।



पुलिस के अनुसार जब प्रिंसिपल छात्रों से बात कर रहे थे तभी कथित तौर पर उनमें से एक ने चाकू निकाला और उन पर कई वार किए। 52 वर्षीय प्रिंसिपल बुरी तरह से घायल हो गए। काफी खून बहने लगा। इसके बाद उन्हें हिसार के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने अब इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले चार नाबालिग छात्रों को हिरासत में लिया है। इनमे दो हमलावर है। अभी करीब एक माह पहले भी हरियाणा के हिसार में सहपाठी द्वारा प्रतिशोध में कक्षा दस के एक छात्र की गोली मारकर की गई हत्या ने हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोरा है। एक साल पहले स्कूल में डेस्क पर बैठने को लेकर विवाद की खुंदक आरोपी छात्र अपने दिमाग में पालता-पोसता रहा। फिर एक दिन सहपाठी को सुबह मिलने के बहाने बुलाया और अपने दादा के हथियार से गोली मारकर हत्या कर दी। घटना बेहद दुखद है और हर मां-बाप के लिये बेहद चिंता का विषय कि उनके बच्चे का सहपाठी भी इतना खूंखार हो सकता है। हमारे जिस समाज की प्यार, सामंजस्य व सहयोग के लिये मिसाल दी जाती थी, उसमें ये किशोर आखिर ऐसा भयानक कदम कैसे उठा रहे हैं? जिस उम्र में किशोरों को पढ़ना-लिखना था, उस समय में वे हिंसक गतिविधियों में क्यों लिप्त हो रहे हैं? दोषी तो आरोपी छात्रों के अभिभावक भी हैं कि जिन्होंने घातक हथियार को लापरवाही से घर में छोड़ा, जिससे आरोपी ने हत्या को अंजाम दिया। बताते हैं कि आरोपी छात्र के दादा सेना से सेवानिवृत्त हैं और एक बैंक में सुरक्षा गार्ड हैं। कितनी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि मृतक छात्र अपने परिवार में इकलौता था और अपने परिवार को हमेशा के लिये रोता-बिलखता छोड़ गया। एक समय अमेरिका व यूरोप में ऐसी घटनाएं सुनने में आती थी। अब ये किशोर अपराध हमारे दरवाजों पर भी दस्तक देने लगे हैं। समाज में व्याप्त नकारात्मकता व हिंसक प्रवृत्ति का किशोरों द्वारा अनुकरण करना हमारे समाज के लिये खतरे की घंटी ही है।



पूर्व में भी उत्तर प्रदेश के कानपुर में 13 वर्ष के एक छात्र ने अपने सहपाठी की चाकू मारकर हत्या कर दी। यह घटना बिधनू क्षेत्र के गोपालपुरी स्थित एक निजी स्कूल में लंच ब्रेक के दौरान हुई। 10वीं कक्षा के छात्र ने अपने सहपाठी, नीलेंद्र तिवारी (15) की गर्दन और शरीर पर चाकू से हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। आरोपी छात्र को पूछताछ के बाद किशोर सुधार गृह भेज दिया गया। मई माह में एक अन्य वारदात में मध्य प्रदेश के धार जिले में एक 17 वर्षीय छात्रा की उसके सहपाठी ने इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने उससे बात करना बंद कर दिया था। बताया गया  कि कक्षा 12वीं के छात्र का शव  जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर उमरबन पुलिस चौकी के अधिकार क्षेत्र में एक खेत में मिला। बीते मार्च में दिल्ली के वजीराबाद इलाके में एक छात्र की ऐसी ही निर्मम हत्या हुई थी। वजीराबाद की घटना में एक नौवीं के छात्र का अपहरण करके उसके परिजनों से दस लाख की फिरौती मांगी गई थी। छात्र की हत्या के बाद जांच में पता चला कि उसके अपहरण व हत्या में तीन किशोर संलिप्त थे। 



हिसार में सहपाठी द्वारा प्रतिशोध में कक्षा दस के एक छात्र की गोली मारकर की गई हत्या ने पूरे समाज को झकझोरा है। एक साल पहले स्कूल में डेस्क पर बैठने को लेकर विवाद की खुंदक आरोपी छात्र अपने दिमाग में पालता रहा। फिर एक दिन सहपाठी को सुबह मिलने के बहाने बुलाया और अपने दादा के हथियार से गोली मारकर हत्या कर दी। घटना बेहद दुखद है और हर मां-बाप के लिये बेहद चिंता का विषय कि उनके बच्चे का सहपाठी भी इतना खूंखार हो सकता है,  आए दिन स्कूल-कालेज विवाद में हिंसक घटनाएं हमें परेशान करती हैं। यदि कम उम्र के बच्चों व किशोरों में बढ़ती हिंसक प्रतिशोध की प्रवृत्ति पर लगाम न लगी तो डर लगता है कि आने वाले समय में हमारे समाज का स्वरूप कैसा होगा। सवाल यह है कि आखिर किशोरों में आपराधिक प्रवृत्तियां क्यों पनप रही हैं। आखिर उन्हें मां-बाप का संघर्ष क्यों नहीं दिखायी देता कि वे कैसे उन्हें पाल-पोस व पढ़ा-लिखा रहे हैं? समाज विचार करे कि वे कौन से कारक हैं जो बच्चों को आपराधिक प्रवृत्ति का बना रहे हैं। उनके द्वारा ऐसे जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिये जिम्मेदार प्रवृत्ति का स्रोत क्या है? ऐसे बच्चों में कानून का भय क्यों नहीं है? कभी लगता है कि हमारे जीवन का हिस्सा बने तकनीकी साधन बच्चों के विवेक पर आक्रमण कर रहे हैं। जिससे उनमें सही-गलत की सोच की प्रक्रिया बाधित हो रही है। कहा जा रहा है कि फिल्म, वेब सीरीज तथा इंटरनेट में व्याप्त आपराधिक कार्यक्रम उन्हें हिंसक बना रहे हैं। जिससे वे बेलगाम सपनों के जाल में भी फंसते हैं, जिन्हें पूरा करने को वे हिंसक राह पर उतर जाते हैं। इन सब वारदातों की प्रकृति का  विश्लेषण कर समाज में जागरूकता लाने  की जरूरत है। साथ ही आज आवश्यकता इस बात की भी है कि बच्चों को घरों,स्कूलों और कॉलेजों में सही मार्गदर्शन दिया जाए ताकि वे बजाए अपराधी बनने के समाज के सभ्य एवं सुसंस्कृत नागरिक बन सकें।  मनोज कुमार अग्रवाल



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