Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal दृष्टिकोण -अभिव्यक्ति के नाम पर नकारात्मक राजनीति Negative politics in the name of opinion-expression

 


Upgrade Jharkhand News. सच्चे लोकतंत्र की पहचान यही है कि जनसाधारण को अपनी बात कहने का अधिकार है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ लोगों की आदत हो गयी है कि वे बिना स्पष्ट प्रमाणों के किसी भी संवैधानिक संस्था या व्यक्ति पर आरोप लगा देते हैं, भले ही बाद में उन्हें अपनी गलती के लिए खेद व्यक्त करना पड़े या माफी माँगनी माँगनी पड़े । कहने का आशय यही है कि किसी की जुबान पर ताला नहीं लगाया जा सकता। राजनीतिक दल अपने संकीर्ण स्वार्थों के चलते अभिव्यक्ति के अधिकार का दुरुपयोग करते  हुए देश भर में धरने प्रदर्शन करने का अवसर ढूँढते रहते हैं। कभी किसी मुद्दे पर कभी किसी मुद्दे पर। ऐसे में किसी प्रशासनिक भूल सुधार या व्यवस्था में सुधारात्मक परिवर्तन करना भी आजकल टेढ़ी खीर हो गया है। देश में घुसपैठियों की पहचान करने हेतु मतदाता सूची के पुनरीक्षण का मामला हो या सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने का कार्य, वोट बैंक की राजनीति के फेर में रोहिंग्याओं, अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के समर्थन में राजनीतिक दल रैली व धरना देने में भी पीछे नहीं हटते। 



बिहार के पटना में अनेक विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गहन पुनरीक्षण के विरुद्ध मोर्चा निकालकर धरना दिया तथा अपनी मंशा साफ कर दी, कि वे चुनाव सुधारों के विरुद्ध हैं। विडंबना यह है कि जिन राज्यों में विपक्षी गठबंधन से जुड़े दलों को हार की संभावना होती हैं, वहां ये अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ने की भूमिका तैयार करने लगते हैं। कभी ई वी एम का विरोध करते हैं, कभी मतदाताओं की वास्तविक स्थिति जानने के लिए मतदाता सूची के गहन परीक्षण का। इसके विपरीत जहाँ उनकी सरकार बनती  हैं, वहां न तो मतदाता सूची का विरोध करते हैं, न ही ई वी एम को अपनी जीत का श्रेय देते हैं। यहाँ इस सत्य को नहीं झुठलाया जा सकता, कि निम्न वर्गीय व निम्न मध्यम वर्गीय मतदाता को तो अत्यधिक सुविधाओं का प्रलोभन देकर लुभाया जा सकता है, किन्तु शेष मतदाताओं को नहीं। आम मतदाता कानून व्यवस्था व सार्वजनिक विकास के मुद्दे पर मतदान करता है तथा वंशवादी जातीय राजनीतिक क्षत्रपों का बहिष्कार करता है। जिस सत्य को खानदानी राजनीति करने वाले तत्व स्वीकार नहीं करना चाहते तथा मतदाताओं को अपनी बपौती समझने वाले तत्व कभी ई वी एम से होने वाले पारदर्शी चुनाव पर ऊँगली उठाते हैं, कभी चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर, जिसे कदाचित उचित नहीं कहा जा सकता। डॉ. सुधाकर आशावादी 




No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template