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Bhopal प्रजनन दर घटने से कम होती दुनिया की जनसंख्या The world population is decreasing due to the decrease in fertility rate

 


Upgrade Jharkhand News. दुनिया ने पहली बार राहत की सांस ली है, जनसंख्या में लगातार वृद्धि से जूझ रही दुनिया के लिए बड़ी खुशखबरी है कि दुनिया में जनसंख्या घटने लगी है। अभी तक  लगातार जनसंख्या आंकड़ों में वृद्धि की खबरें मिल रही थी ,लेकिन पहली बार जनसंख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। एक ताजा शोध में जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं उसके अनुसार विश्व की कुल आबादी 7.6 अरब है। पहले अनुमान लगाया गया था कि जिस गति से विश्व की आबादी बढ़ रही है, यदि इसी दर से आबादी बढ़ती गई तो आने वाले वर्षों में  विश्व की आबादी 10 अरब से भी ज्यादा हो जाएगी लेकिन ताजा आंकडों के अनुसार यदि आबादी घटने की यही स्थिति रही तो  2100 में हमारी दुनिया की आबादी घटकर 8.70 अरब रह जाएगी। अमेरिका के वैज्ञानिक रूट क्रिस ने अपने लेख में लिखा है कि 2024 में विश्व की आबादी कम हुई है यदि इसी दर से  विश्व की आबादी घटती गई तो विश्व में 50% जनसंख्या कम हो जाएगी।  



दुनिया के 37 देशों में मौजूदा आबादी का 60% कम होने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि विश्व के कई देशों में युद्ध की संभावना है जिसके कारण बड़े पैमाने पर जनसंहार होगा। उन्होंने दावा किया है कि भविष्य में चीन ,जापान ,थाईलैंड, इटली , स्पेन,पुर्तगाल और दक्षिणी अफ्रीका में महिलाओं की प्रजनन दर बड़ी तेजी से घट रही है। जनसंख्या कम होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण इन देशों में बूढ़ों की बढ़ती जनसंख्या और जन्म दर में भारी गिरावट है। विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश में जिस प्रकार जनसंख्या कम हो रही है उससे लगता है कि चीन की जनसंख्या 2100 में 75 करोड़ 20 लाख रह जाएगी जो इस समय 138 करोड़ के लगभग है।  रूट क्रिस ने आगे लिखा है कि भारत में भी जनसंख्या वृद्धि में गिरावट होने वाली है ,इस अध्ययन में लिखा है कि यदि भारत की आबादी इसी दर से गिरती गई तो  2100 में भारत की आबादी 90 करोड़ तक पहुंच सकती है जो इस समय 142 करोड़ के लगभग है।



वहीं विश्व के कई हिस्सों में आबादी बढ़ने की आशंका है, इन देशों में उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और सहारा रेगिस्तान से सटे देश शामिल है। 2100  में इन देशों की आबादी तीन अरब तक हो सकती है। भारत में जनसंख्या की कमी होने के पश्चात भी वह विश्व में नंबर एक स्थान ले सकता है। आंकड़ो से मिली जानकारी के अनुसार भारत में  गर्भ निरोधकों का प्रयोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है तथा युवाओं के विवाह देरी से करने के कारण प्रजनन दर में गिरावट आ रही है। देश के स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि देश में प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई थी। चंडीगढ़ और दिल्ली में प्रजनन दर 67 से कम होकर 52 रह गई है और देश के सभी राज्यों में गर्भ निरोधकों का आधुनिक ढंग से प्रयोग हो रहा है। सरकार द्वारा भी  देश की आबादी को कंट्रोल में लाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं।  उधर ,चीन में जिस दर से आबादी घट रही है वह चीन के लिए अवश्य ही चिंता का विषय है।          हमारे देश में भी 14 राज्यों में हुए एक सर्वे  में माना है कि देश में जनसंख्या घट रही है। इस सर्वे में अरुणाचल प्रदेश ,चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, झारखंड ,मध्यप्रदेश, दिल्ली ,उड़ीसा, पंजाब ,राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल है। यह सर्वेक्षण 1770 जिलों में किया गया।



पहले चरण का सर्वेक्षण 2021 में आरम्भ किया गया था, सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत में  शादियों  की संख्या में भी कमी आई है।  पिछले तीन वर्षों में हमारे देश में शादियों में 15% गिरावट देखने को मिली  है , देश में बढ़ती महंगाई को लेकर माता-पिता आजकल एक बच्चे तक ही परिवार सीमित रख रहे हैं। सूत्रों के अनुसार चीन सरकार देश की जनसंख्या बढ़ाने के लिए बड़े-बड़े कदम उठा रही है, चीन में भी नौजवान शादी से परहेज कर रहे हैं। इस कारण वहां की सरकार कर्मचारियों को नोटिस भेज रही है कि उन्होंने आखिर शादी क्यों नहीं की ,यदि 3 महीने के भीतर शादी नहीं की तो उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है। चीन में पिछले वर्ष केवल 70 लाख नौजवानों ने शादी की जो 2023 की तुलना में 22.5% कम है। 1986 से लगातार चीन की जनसंख्या  कम हो रही है। यहां महिलाएं गर्भधारण नहीं करना चाहती। वे सरकार की नीतियों से तंग आकर बच्चों को बोझ समझ रही हैं। वैसे कई कट्टरपंथी देशों में भी अब कम बच्चे पैदा करने पर अमल किया जा रहा है लेकिन अधिकांश कट्टरपंथी देशों में आज भी अधिक बच्चे पैदा करने का रिवाज चल रहा है ,जिसके कारण वहां रहने वाले लोग  गरीबी में जीवन यापन करने के लिए विवश  हैं। सुभाष आनंद



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