Jamshedpur (Nagendra) । शिक्षा केवल अधिकार नहीं — आत्मनिर्भरता की पहली सीढ़ी है। इसी सोच को साकार करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के कंप्यूटर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 30 जून से 4 जुलाई 2025 तक एक पाँच दिवसीय कार्यशाला — “युवाओं के लिए बुनियादी कंप्यूटर कौशल और डिजिटल साक्षरता” — का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य सिर्फ तकनीक सिखाना नहीं था, बल्कि तकनीक के माध्यम से गाँवों और वंचित तबकों से आए युवाओं को सशक्त बनाना था — ताकि वे भी आज के डिजिटल भारत का आत्मविश्वासी हिस्सा बन सकें। कार्यशाला का उद्घाटन संस्थान के माननीय निदेशक प्रो. (डॉ.) गौतम सूत्रधार द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में कहा :
"डिजिटल साक्षरता अब महज़ तकनीकी आवश्यकता नहीं — यह सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण का माध्यम है। हमारा सपना है कि हर गाँव, हर बच्चा तकनीक से जुड़ सके, और यह कार्यशाला उस दिशा में एक मजबूत क़दम है।"इस अवसर पर उप-निदेशक प्रो. राम विनॉय शर्मा, डीन (शैक्षणिक) प्रो. मृत्युंजय कुमार सिन्हा, डीन (अनुसंधान एवं परामर्श) प्रो. सतीश कुमार, एवं रेजिस्ट्रार कर्नल डॉ. निशीथ कुमार राय (सेवानिवृत्त) ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
पाँच दिन — पाँच पड़ाव:
दिवस 1: कंप्यूटर का परिचय, भागों की समझ और बेसिक संचालन
दिवस 2: MS Word, Excel और PowerPoint पर व्यावहारिक कार्य
दिवस 3: इंटरनेट ब्राउज़िंग, ईमेल, क्लाउड स्टोरेज और ऑनलाइन फॉर्म
दिवस 4: साइबर सुरक्षा, डिजिटल पहचान, और सरकारी डिजिटल सेवाएँ
दिवस 5: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का परिचय और भविष्य की दिशा
इस कार्यशाला का संयोजन डॉ. दिलीप कुमार एवं डॉ. आलोक प्रियदर्शी के नेतृत्व में किया गया, जबकि समन्वय की ज़िम्मेदारी डॉ. एस.के. तिवारी और डॉ. सुचिस्मिता महतो ने पूरी निष्ठा से निभाई। विभागाध्यक्ष एवं वर्कशॉप चेयरमैन प्रो. डैनिश अली खान ने इसे विभाग की सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब बताते हुए पूरी टीम को बधाई दी।
कार्यशाला की सफलता में हमारे समर्पित पीएचडी स्कॉलर्स और छात्र समन्वयकों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा —सुधांशु शेखर, चिरंजीवी कान्त, अमित भारती, बिजय सिंह, अशित एक्का, उजरा रहमान, रंजन कुमार, और निखिल पतेरिया ने दिन-रात मेहनत कर प्रतिभागियों को हाथ-से-हाथ कंप्यूटर पर अभ्यास करवाया। इस कार्यशाला में भाग लेने वाले अधिकतर युवाओं ने पहली बार कंप्यूटर को छुआ, चलाया और समझा। एक प्रतिभागी ने भावुक होकर कहा: "पहले लगता था कंप्यूटर हमारे लिए नहीं है, पर अब लगता है — हम भी कर सकते हैं!"दूसरी प्रतिभागी, जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं, ने कहा:
"मेरी टाँगें नहीं चलतीं, लेकिन मेरा आत्मविश्वास अब उड़ान भरने को तैयार है — और यह सब एनआईटी जमशेदपुर की बदौलत है।"
आयोजित समापन समारोह में निदेशक महोदय ने स्वयं सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए। उन्होंने कहा:"यह केवल एक वर्कशॉप नहीं थी, यह एक चिंगारी है — जो अब गाँव-गाँव तक रोशनी फैलाएगी। हमें यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल साक्षरता शहरों तक नहीं, देश के हर कोने तक पहुँचे।"यह कार्यशाला एक तकनीकी प्रशिक्षण से बढ़कर एक आंदोलन की शुरुआत थी। यह साबित हुआ कि जब अवसर दिया जाए — तो हर ग्रामीण युवा भी 'गूगल' की दुनिया में confidently कदम रख सकता है। एनआईटी जमशेदपुर ने यह दिखा दिया है कि तकनीक जब सेवा भावना से जुड़ती है, तो वह शिक्षा से आगे बढ़कर समाज निर्माण का माध्यम बन जाती है।
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