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Bhopal सतलुज के किनारे बसे लोग युद्ध से नहीं बाढ़ से डरते हैं People living on the banks of the Sutlej are afraid of floods, not war.

 


Upgrade Jharkhand News. भारत -पाक सीमा पर बसे पंजाब के गांवों के लोगों की समस्याएं मानसून के साथ बढ़ने लगती है, गांव वालों का कहना है कि हम  युद्ध से इतना नहीं डरते जितना हर वर्ष सतलुज में बाढ़ आने से डरते हैं । सतलुज का पानी मानसून के सीजन में हमें हर वर्ष भयभीत करता है। सीमावर्ती गांव के लोगों का कहना है कि हमारे गांव के नजदीक कोई छोटा बड़ा उद्योग नहीं है, ढंग की सड़कें न होने के कारण बाजार भी विकसित नहीं हो सके। चार-चार लड़ाइयां देखने के पश्चात लोगों का विश्वास इतना हिल चुका है कि आज भी गांव में लोग पक्के मकान बनाने से डरते हैं । आजीविका कमाने के लिए एकमात्र साधन खेतीबाड़ी है ,लेकिन खेती-बाड़ी के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया जाता,सीमा से सटे गांवों में सीमा सुरक्षा बलों द्वारा कंटीली तार लगा रखी है और समय बहुत कम मिलता है।



समस्या यहां समाप्त नहीं हो जाती सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई भी डॉक्टर जाकर काम करने को तैयार नहीं है ,अधिकतर अध्यापक अपनी ड्यूटी पर नहीं आते इसलिए पिछड़ापन इन गांवों की नियति बन चुका है। राज्य की 600 मीटर लंबी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष सीमा पर बसे लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के रहमों करम पर छोड़ दिया जाता है ,पंजाब की 66 % आबादी गांवों में रहती है ,लेकिन गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं का जनाजा निकला हुआ है, टूटे हुए स्टेथोस्कॉप, दवाइयां की भारी कमी आज भी पंजाब सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। प्रश्न उठता है कि आखिर सरकार क्या कर रही है ,स्वतंत्रता के  दशकों के बाद भी भारत सरकार और राज्य सरकारों ने सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, किसानों ,मजदूरों ,कारोबारियो के लिए  कोई विशेष कोटा दिया? सतलुज में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आने के कारण कई गांवों को उजड़ना पड़ता है ,मौत के शिकार लोगों के परिजनों को कोई मुआवजा नहीं मिलता। बच्चों को पढ़ने के लिए कश्ती पर स्कूल जाना पड़ता है जो सदैव खतरा बना रहता है। 



सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा की कमी के कारण लोग अपराधी प्रवृत्ति वाले बनते जा रहे हैं ,यहां पर देसी शराब घर-घर में बनाई जाती है और खुलेआम बेची जाती है । शिक्षा का अभाव होने के कारण लोग तस्करी के धंधे में लगने लगे  हैं और युवा पीढ़ी रातों-रात अमीर बनने के सपने देखने लगी है । सतलुज के साथ सीमावर्ती गांवों में ना तो केंद्र सरकार न राज्य सरकार की कोई ठोस नीति है। पंजाब की चुनी हुई आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी  सीमांत क्षेत्रों की समस्याओं को समझने की कभी कोशिश ही नहीं की, जबकि आम आदमी की सरकार बनाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान इन्हीं लोगों का था। सीमांत क्षेत्रों के बच्चों को प्राथमिक तथा उच्च शिक्षा देने के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए ,स्वास्थ्य,शिक्षा और शुद्ध पानी के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए। सीमा पर बसे लोगों को सेना में भर्ती होने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए , लद्दाख स्काउट की भांति पंजाब में भी सीमा स्काउट बटालियन खड़ी की जानी चाहिए जिसमें केवल सीमावर्ती नौजवानों की भर्ती होनी चाहिए। सीमा पर बसे लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के कसूर से आने वाला पानी हमें कैंसर जैसी बीमारियां  दे रहा है। इस समस्या के हल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत होनी चाहिए। 

            


वहीं गांव वालों ने बताया कि हमें पिछली बाढ़ का मुआवजा अभी तक नहीं मिला और ना ही हमारे खेतों से रेत उठाने में हम सफल हुए हैं, अभी हम पिछली बाढ़ को नहीं भूले, और नई परेशानियां सामने आ खड़ी हो रही है। सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात डॉक्टरों का कहना है कि अधिकतर मरीज दवाइयों की डिमांड करते हैं जो हमें अधिकारियों द्वारा सप्लाई नहीं हो रही। इसलिए सीमावर्ती क्षेत्रों में नशेड़ियों की  संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पंजाब सरकार हर वर्ष एक से बयान जारी करती रहती है कि कमजोर दरारों को मजबूत कर दिया गया है लेकिन हर वर्ष  ग्रामीण क्षेत्रों में बसे लोगों को बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस बार पंजाब के कई गांव में रेड अलर्ट जारी कर दिए गए और गांवों के गांव खाली करवा दिए थे। लोगों ने अपना कीमती सामान गांवों से शहरों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया। 2023 की  बाढ़ में लोगों को सामान निकालने का अवसर ही नहीं मिला था। बाढ़ आने के कारण दर्जनों गांवो का कनेक्शन शहरों से कट जाता है। गांववासियों को अपने घरों की छतों पर अपना निवास करना पड़ता है,पशुओं का चारा सबसे बड़ी समस्या बन जाती है, बाढ़ के पश्चात कई प्रकार की बीमारियां फैल जाती है पानी की निकासी न होने के कारण डेंगू का डर बना रहता है। समय पर उचित उपचार न मिलने के कारण जान का खतरा भी बन जिता है। सुभाष आनंद



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