Jamshedpur (Nagendra) टाटा मेन हॉस्पिटल ने बाल शल्य चिकित्सा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के डॉक्टरों ने जन्मजात डायाफ्रामैटिक हर्निया (CDH) का सफल उपचार किया है। यह एक जानलेवा स्थिति होती है, जिसमें आंत, स्प्लीन और यकृत का बायां हिस्सा बच्चे की छाती में चला जाता है, जिससे श्वसन प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को केवल 2 दिन के नवजात शिशु पर सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इस उपचार के लिए अत्यधिक सर्जिकल विशेषज्ञता की आवश्यकता थी। झारखंड में अपनी तरह की पहली सर्जरी डॉ. शिशिर कुमार के नेतृत्व में की गई, जिसमें बच्चे के सीने में केवल 3 छोटे छेद करके सर्जरी की गई।
इससे शरीर की सामान्य संरचना को बहाल किया गया और फेफड़ों पर बना दबाव हटाया गया। यह अत्याधुनिक और न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया टीएमएच की बाल शल्य चिकित्सा में उन्नत विशेषज्ञता को दर्शाती है, जो गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। नवजात की सफल रिकवरी कई परिवारों के लिए आशा की किरण है, क्योंकि इस प्रकार की सुविधाएं पूरे भारत में केवल कुछ अग्रणी चिकित्सा केंद्रों में ही उपलब्ध हैं। उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर, समर्पित सर्जनों और एनेस्थेटिस्ट्स की टीम, और मात्र 3 वर्षों में 800 से अधिक बाल शल्य चिकित्साओं के साथ, टीएमएच (TMH) बाल स्वास्थ्य सेवा में नए मानक स्थापित कर रहा है।
इसका लक्ष्य इस क्षेत्र में टीएमएच को 'बाल शल्य चिकित्सा का प्रमुख केंद्र' के रूप में स्थापित करना है। टीम की प्रतिबद्धता टाटा स्टील की टैगलाइन 'कल भी हम बनाते हैं' का सच्चा प्रतीक है, जो विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की इसकी प्रतिबद्धता को दृढ़ता से दर्शाता है।

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