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Bhopal दृष्टिकोण -बहन बेटियों के प्रति अभद्र व अपमान जनक टिप्पणियों पर मिले कठोर सजा Viewpoint: Strict punishment should be given for indecent and insulting comments against sisters and daughters.

 


Upgrade Jharkhand News. समाज में जातीय कुंठा कितना जहर घोल रही है, यह किसी से छिपा नहीं है। शिक्षा एवं रोजगार के क्षेत्र में जाति आधारित आरक्षण की पुनर्समीक्षा न किए जाने से जिस प्रकार आरक्षण का लाभ ले रहे लोग आरक्षण को अपनी बपौती मानकर सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था को विकलांग बनाने पर आमादा हैं तथा आरक्षण की समीक्षा का विरोध करते हुए समाज में वैमनस्य के बीज बो रहे हैं, उससे लगता है, कि कुछ लोगों के मानसिक विकलांगता से जनित बिगड़े बोल देश की शांति व्यवस्था बनाये रखने में सबसे बड़े अवरोधक बने हुए हैं। यदि ऐसा न होता, तो मध्य प्रदेश में आरक्षण से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के संगठन के एक उच्च प्रशासनिक पदाधिकारी ब्राह्मण जाति की बहन बेटियों के प्रति अभद्र व अपमान जनक टिप्पणी न करते। 



संचार क्रांति के युग में किसी जातीय सभा में प्रशासनिक अधिकारी की अमर्यादित टिप्पणी को सभ्य समाज भला कैसे स्वीकार कर सकता था, सो ऐसे अधिकारी के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की मांग करते हुए अनेक संगठन, अधिवक्ता व शिक्षित समाज के जागरूक नागरिक खड़े हो गए। यह समय की माँग थी, कि जिस व्यक्ति ने आरक्षण के आधार पर उच्च प्रशासनिक पद प्राप्त किया, उससे पद की गरिमा बनाए रखने की अपेक्षा थी।         कौन नही जानता, कि समाज बदल रहा है। वैवाहिक संबंध अब युवाओं की अपनी पसंद से स्थापित किये जा रहे हैं। अंतरजातीय विवाह चलन में हैं, ऐसे में केवल ब्राह्मण जाति की बेटियों के कन्यादान किसी विशेष जाति के युवक से किए जाने की बात करना सम्बंधित अधिकारी की मानसिक कुंठा का ही परिचायक है। विवाह परिवार का स्तर, व्यक्ति के बौद्धिक स्तर, व्यक्ति के संस्कार का मेल होने पर ही टिक पाता है तथा कन्याएं दान की वस्तु नहीं रह गई हैं। वह समानता के अधिकार से जीवन में आगे बढ़ रही हैं। 



ऐसे में केवल ब्राह्मण कन्याओं के प्रति किसी कुंठित अधिकारी का विकृत मानसिकता से जुड़ा बयान निंदनीय है। होना तो यह चाहिए कि समाज में द्वेष या घृणा फैलाने वाले किसी भी कथन को अपराध की श्रेणी में रखा जाए तथा ऐसे तत्वों को चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या क्षेत्र से जुड़े हो, दण्डित किया जाए। समाज में अमर्यादित टिप्पणी करके क्षमा मांगने मात्र से इस समस्या का कोई समाधान संभव नहीं है। यदि समय रहते ऐसे तत्वों को सबक नहीं सिखाया गया, तो संभव है कि ऐसे तत्व समाज में द्वेष और घृणा के बीज बोने का दुस्साहस करते रहें। सो अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणियां करने के आरोपी को किसी भी कीमत पर बख्शा न जाए। डॉ. सुधाकर आशावादी



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