Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal शरद ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा Health care in autumn

Upgrade Jharkhand News. हर मौसम का अपना एक अलग अनुभव एवं आनन्द होता है। बसंत ऋतु की तरह शीत ऋतु भी सुहावनी होती है। शीतल पवन, धुन्ध, हल्की फुहारें तथा स्वच्छ वातावरण मन को लुभाने लगते है। धूप में बैठने का आनन्द अपूर्व होता है। भोजन पचाने में शरद ऋतु सर्वोत्तम है। कसरत करने का सर्वोत्तम समय शरद ऋतु का ही होता है। इससे शरीर का विकास होता है। स्वास्थ्यवर्धन का यह उचित समय होता है। बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट, मूंगफली, तिल के लड्डू या गजक, ड्रायफ्रूट्स इस मौसम में खाने में गुणकारी रहते हैं। ये शरीर में नए जोश एवं रक्त की रचना करते हैं। शरीर को गर्म रखने में सहायता करते हैं क्योंकि इनमें प्रोटीन की बहुतायत होती है। स्वास्थ्यवर्धक फल संतरा, किन्नू, विटामिन 'सी' से भरपूर होते हैं। चीकू, केला कार्बोज से भरपूर होते हैं। अंगूर तो स्वास्थ्य के लिए रत्न हैं।



वर्षाऋतु के बाद यदि घरों में लिपाई-पुताई, सफाई, चूना, रंग रोगन करवाया जाए तो झाड़-बुहारी करने से, दीवारों पर चूना पुताई करने से, घरों में से जीवाणु-विषाणु, कीट-पतंग, मच्छर-मक्खी, मकड़ी छिपकलियां भाग जाते हैं तो घर में स्वस्थ वातावरण बनता है। बीमारियां दूर रहती हैं। घर में उचित प्रकाश एवं हवा की व्यवस्था से श्वांस के रोगों से मुक्ति मिलती है। कई लोग कड़ाके की ठण्ड में वस्त्राभाव के कारण ठिठुर जाते हैं इसलिए सर्दी में गर्म स्वेटर, कोट, पेंट, जुराबे, टोपी, मफलर, दस्ताने पहनकर अपने शरीर को गर्म रखना चाहिए। स्वेटर की ऊन के बीच फंसी हवा गर्म रहकर आपके शरीर को गरम रखेगी। रात्रि को उचित कम्बल, रजाई प्रयोग करके ठण्ड से बचने का प्रयास करें।बच्चों एवं बुजुर्गों को ठण्ड जल्दी प्रभावित करती है अत: उनको शीत से बचाएं। बच्चों को नंगे पांव न रखें। पांव से ठण्ड लग जाती है। बुजुर्ग लोग सर्दी को सहन नहीं कर पाते तथा सर्दी को सहन न कर पाने के कारण असमय ही काल का ग्रास भी बन जाते हैं, उनकी सुरक्षा करनी चाहिए। कोशिश करें कि हर मौसम की ज्यादती से यथा सम्भव बचा जाए।



स्नान करते समय ठण्डे जल की अपेक्षा हल्का गर्म जल प्रयोग किया जाए। जल को अंगीठी या गैस पर गर्म किया जा सकता है। बिजली के गीजर या गैस गीजर के गर्म जल से स्नान करके शरीर को ठण्ड से बचाएं। सिर की गर्म टोपी और पैरों की गर्म मोजों से सुरक्षा करनी चाहिए।गर्म भोजन करने के पश्चात शीतल जल न पिएं। इससे गला खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। कोशिश करें कि भोजन करने के आधे घण्टे के पश्चात ही जल पिएं क्योंकि साथ में जल पीने से पेट के एन्जाईम पतले हो जाते हैं और उन्हें भोजन को पचाने में कठिनाई होती है। अंजनी सक्सेना



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

.