Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal दृष्टिकोण -उत्तर प्रदेश के स्कूलों की दैनिक गतिविधि में अख़बार हुआ अनिवार्य Viewpoint: Newspapers have become a mandatory part of daily activities in schools in Uttar Pradesh.

 


Upgrade Jharkhand News. उत्तर प्रदेश सरकार ने दिशा निर्देश जारी जारी करके राज्य के सभी माध्यमिक और प्राथमिक स्कूलों के छात्रों के लिए अख़बार पढ़ने को अनिवार्य दैनिक गतिविधि के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया  है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को बेहतर बनाना, वाचन अर्थात पढ़ने की आदत को विकसित करना तथा बच्चों के सामान्य ज्ञान को अद्यतन करना है तथा मोबाइल के प्रति बच्चों की बढ़ती रूचि के कारण स्क्रीन टाइम को कम करना है।  इस व्यवस्था में बालकों को हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं के समाचार पत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे बालकों में भाषा की समझ और अभिव्यक्ति का अवसर प्राप्त होगा तथा भाषा पर पकड़ मजबूत होने के उपरांत बच्चे वाद विवाद, भाषण और संवाद में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकेंगे। इस पहल के अंतर्गत सप्ताह में एक बार किसी सम्पादकीय लेख पर बच्चों से समूह चर्चा कराई जाएगी, जिससे बालक उस विषय पर अपने विचार रखेंगे, औरों के विचार सुनेंगे, उनकी चिंतन क्षमता का विकास होगा, तथा उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। 



कहने का आशय यही है, कि समय के साथ कदमताल करते हुए बालकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधरने की यह कवायद आदर्श शैक्षिक वातावरण निर्मित करने की दिशा में पहल है। यहाँ इस सत्य को नहीं झुठलाया जा सकता, कि शिक्षा किताबों की अपेक्षा अनुकरणीय आचरण से अधिक सीखी जाती है। विद्यालय चाहे प्राथमिक स्तर के हो, चाहे माध्यमिक स्तर के, सभी में शिक्षा के साथ साथ पाठ्य सहगामी क्रियाओं के आधार पर बालक के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है। निश्चित समय पर आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा बालकों को समय का महत्व समझाती है। प्रार्थना सभा में ही जीवन से जुड़ी आदर्श कथाएं  बालकों को नैतिक संस्कारों से अवगत कराती है तथा समाचार पत्रों के मुख्य शीर्षक अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय समाचारों से अवगत कराते हैं। कुछ दशकों से शिक्षा व्यवस्था में आए परिवर्तन ने शिक्षा से जुड़ी प्राथमिक गतिविधियों  को विस्मृत कर दिया है। 



सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में प्रार्थना सभा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का अभाव हो गया। विद्यालयों के वाचनालयों से समाचार पत्रों के स्टैंड गायब हो गए। प्रार्थना सभा में वर्तमान की चर्चा बंद हो गई। शायद यही कारण रहा होगा, कि उत्तर प्रदेश में समाचार पत्रों का पढ़ना बालकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया हो। इस आदेश को यदि व्यवहार में लाया जाता है, तो अवश्य ही अन्य प्रदेशों के लिए भी यह अनुकरणीय रहेगा। बच्चों में पढ़ने पढ़ाने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। बच्चों की भाषाई समझ का विकास होगा। यूँ तो इस नियम में ऐसा कुछ नया नहीं है। प्राथमिक स्कूलों के आयोजित होने वाली बाल सभाओं में ऐसा होता रहा है, फिर भी शिक्षा को गुणवत्ता परक बनाने की दिशा में इसे अच्छी पहल माना जाना चाहिए। डॉ. सुधाकर आशावादी



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

.