Guwa (Sandeep Gupta) सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) में कर्मचारियों की जन्म तिथि को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद एक बार फिर चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट, झारखंड हाई कोर्ट एवं केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने अपने विभिन्न फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि जन्म तिथि का वैध प्रमाण सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र अथवा स्कूल बोर्ड द्वारा जारी मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र ही है। इसके बावजूद बार-बार एक ही मुद्दे पर कर्मचारी अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं, जिससे न्यायालय का समय भी व्यर्थ हो रहा है और कर्मचारियों को भी अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ रही है। न्यायालयों ने यह भी साफ कहा है कि सेवा रिकॉर्ड में मौखिक रूप से दर्ज या बाद में लिखी गई जन्म तिथि को प्रमाणिक नहीं माना जा सकता। पूर्व में सरकारी जन्म प्रमाण पत्र की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होने के कारण कई कर्मचारियों की जन्म तिथि अनुमान या मौखिक जानकारी के आधार पर सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज कर ली गई थी।
बाद में बच्चों के स्कूल में नामांकन के दौरान मैट्रिक प्रमाण पत्र में अलग जन्म तिथि दर्ज होने से विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस स्थिति के कारण कई मामलों में कर्मचारियों के सेवा काल में निधन होने पर उनके आश्रितों को मुआवजा अथवा अनुकंपा नियुक्ति पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अदालतों ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए मैट्रिक प्रमाण पत्र में दर्ज जन्म तिथि को ही मान्य ठहराया है। इसी संदर्भ में झारखंड मज़दूर संघर्ष संघ किरीबुरू के महामंत्री राजेन्द्र सिंधिया ने सेल प्रबंधन को पत्र सौंपते हुए मांग की है कि कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों की जन्म तिथि में यदि सेवा रिकॉर्ड में कोई त्रुटि है तो कोर्ट के आदेशानुसार एकमुश्त सुधार किया जाए। इससे भविष्य में कानूनी विवादों से बचाव होगा और कर्मचारियों को न्याय मिल सकेगा।
No comments:
Post a Comment