Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Jamshedpur जमशेदपुर में प्रथम पाणिनि उत्सव समारोह का आयोजन किया गया , विधायक सरयू राय बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे The first Panini Utsav was organised in Jamshedpur, with MLA Saryu Rai as the chief guest.

 


Jamshedpur (Nagendra) जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि अब ऐसा लग रहा है कि पूरब (भारत) और पश्चिम (अमेरिका समेत अन्य देश) में वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से साम्य स्थापित होगा। पहले दोनों के बीच जो असमानता थी, वह पदार्थ और विचार के आधार पर था। पहले दोनों एक-दूसरे पर हावी होना चाहते थे। अब वह हावी होने का भाव, मतैक्य का भाव धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। महर्षि पाणिनि के काल से लेकर आज तक कई कालखंड बीत गये। इन कालखंडों में आचार-विचार के स्तर पर बड़े परिवर्तन हुए हैं। पाणिनि उत्सव मना कर हम उनके ज्ञान को वर्तमान में तो अपना ही रहे हैं, भविष्य में भी सकल ब्रह्मांड में स्थापित करने के योग्य होंगे। 


सरयू राय पाणिनि उत्सव समिति के तत्वावधान में यहां न्यू बाराद्वारी के पीपुल्स एकेडमी के कालिदास सभागृह में आयोजित पाणिनि उत्सव में अपनी बात बतौर मुख्य अतिथि रख रहे थे। सरयू राय ने कहा कि ऐसे कई संकेत मिल रहे हैं, जिसका अर्थ यह है कि अब पदार्थ और विचार आपस में सहमत हो रहे हैं। समाज का एक कास वर्ग हमारी विभिन्नताओं को घातक हथियार बना कर हमें संघर्ष की राह पर धकेलने के लिए आमादा है लेकिन हमें उसमें फंसना नहीं है। एनर्जी और माइंड एक-दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं, यह लक्षण साफ-साफ दृष्टिगोचर हो रहा है। रमा पोपली ने कहा कि हमारी वर्णमाला की शुरुआत पाणिनि से है, उनके आशीर्वाद से है। आज के दौर में बच्चों के भीतर हम लोगों को वैज्ञानिक सोच, सृजन और टेम्परामेंट विकसित करने की जरूरत है। डॉ. मित्रेश्वर अग्निहोत्री ने कहा कि यह महर्षि पाणिनि ही थे, जिनके कारण हम लोग सूत्र काल को जान सके। 



वह न होते तो हम लोग सूत्र काल न जान पाते। उन्होंने कहा कि लोग पाणिनि को एक व्याकरण जानकार के रुप में ही जानते हैं जबकि सच यह है कि वह प्रकांड विद्वान थे, महाकवि थे, महाइतिहासकार थे। पाणिनि नहीं होते तो उस रुप में आज संस्कृत नहीं होती, जिस रुप में आज है। पाणिनि न होते तो आज कई भाषाएं नहीं होतीं। पाणिनि को संस्कृत तक ही न समेटें। उनका अवदान वृहत है। संस्कृत की अमरता पाणिनि के कारण है। संस्कृत की सुंदरता, सज्जा, सौंदर्य, अनुशासन आदि पाणिनि के कारण ही है, उन्हीं का दिया हुआ है। बाल मुकुंद चौधरी ने कहा कि पाणिनि ने शंकर को प्रसन्न किया। शंकर ने नृत्य किया। डमरू की ध्वनि से 14 माहेश्वर सुत्र का प्रकटीकरण हुआ। इन्हीं 14 सूत्रों से पाणिनि ने अष्टाध्यायी की रचना की। डॉ. शशि भूषण मिश्र ने कहा कि वैदिक काल के पूर्व भी भारत में एक शानदार भाषा थी। 



यह भाषा थी भारतीय आर्य भाषा। 20 साल पहले की खोदाई में इसके स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। उन्होंने कहा कि कई लिपियां हैं, उनकी भाषा नहीं है। कई भाषाएं हैं, उनकी लिपियां नहीं हैं। संस्कृत की कोई लिपि नहीं। लेकिन, संस्कृत वैदिक काल में भी थी और आज भी है। संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जो कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लोग पढ़ते रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि संस्कृत ब्राह्मी लिपि में भी लिखी जाती रही है। कार्यक्रम को डॉ. रागिनी भूषण और डॉ. कौस्तुभ सान्याल ने भी संबोधित किया। पाणिनि फाउंडेशन की निदेशक रमा पोपली की पुस्तक पाणिनि शिक्षाशास्त्र (PANINI PEDAGOGY) का विमोचन हुआ। मंच संचालन पाणिनि उत्सव समिति के सचिव चंद्रदीप पांडेय ने किया।



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

.