गुवा । जिला परिषद सदस्य देवकी कुमारी ने सारंडा अन्तर्गत अंकुआ गांव में बलात्कार व हत्या की शिकार हुई युवती से संबंधित घटना पर गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने घटना में शामिल अपराधी की अविलम्ब गिरफ्तारी की मांग जिला पुलिस-प्रशासन से की। उन्होंने कहा कि जब किरीबुरु-मनोहरपुर जैसे व्यस्त सड़क पर दिनदहाडे़ ऐसी घटना घट सकती है, तो सारंडा के सुदूरवर्ती गांव में खतरा और बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि यहां की महिलाएं सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में स्थित स्कूलों में पढ़ाने, जन समस्याएं आदि को लेकर आना-जाना करती हैं। अब डर के मारे महिलाएं बाहर नहीं निकल पायेंगी। पुलिस अपने थाना क्षेत्रों में गश्ती तेज करे, रास्ते में अड्डाबाजी, नशापान करने वाले एवं संदिग्ध स्थिति में खडे़ लोगों पर कार्रवाई करे, मुख्य सड़कों को सीसीटीवी कैमरे से लैश करे। इससे ऐसी घटना को रोका जा सके अथवा घटना के बाद अपराधी की पहचान किया जा सके।
देवकी कुमारी ने किरीबुरु-बड़ाजामदा मार्ग पर हाथियों के आतंक से संबंधित मुद्दे को उठाते हुये कहा कि इस मामले को लेकर वन विभाग निष्क्रिय है। वन विभाग के उच्च अधिकारी किसी ग्रामीण अथवा यात्रियों की मौत का इंतजार कर रहे हैं। पुछने पर कहा जाता है कि यह जंगल हाथियों का है, हाथी को कहां भगायें। लेकिन वन विभाग को यह भी बताना चाहिए की जब जंगल हाथियों का है, तब वह सारंडा में दर्जनों खदाने खोलने, खदान क्षेत्रों में टाउनशिप, सड़क, बस्तियां बसाने व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर पर्यटकों के आने-जाने, घुमने की सुविधा, एनओसी एवं अनुमति क्यों दे रही है।
मुख्य सड़क क्षेत्रों से घने जंगलों में हाथी भगाने का काम नहीं कर सिर्फ बहानेबाजी की जा रही है। हाथियों ने अगर किसी को नुकसान पहुंचा तो क्षेत्र की जनता वन विभाग कार्यालय में घुस जायेगी और विभाग से सवाल-जबाब करेगी। अगर वन विभाग हाथी नहीं भगाती है तो गंभीर परिणाम भुगतना होगा। अगर यह मार्ग हाथियों का आश्रय क्षेत्र है तो वह मित्तल जैसी कंपनी को खदान खोलने हेतु लीज का एनओसी, पेड़ों के मार्किंग आदि की अनुमति कैसे दिया जा रहा है।
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