गुवा । सारंडा जंगल के विभिन्न स्थानों पर वन विभाग द्वारा बनाया जा रहा फायर वाच टावर के उद्देश्य को आम जनता समझ नहीं पा रही है। लोग इसे पैसे की बर्बादी बता रहे हैं। सारंडा के लोगों का कहना है कि ऐसे फायर वाच टावर को न बनाकर सारंडा की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित प्राकृतिक जलस्रोतों पर चेकडैम बनाकर उसके पानी को सारंडा के विभिन्न गांवों व क्षेत्रों में पहुंचाया जाता तो ग्रामीणों, वन्यप्राणियों, पेड़-पौधों के साथ-साथ सारंडा की भूमिगत जल स्तर को ऊंचा उठाने में फायदा होता।
उल्लेखनीय है कि सारंडा के सुदूरवर्ती गांव झारबेड़ा, किरीबुरु-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग पर ॐ शांति स्थल मंदिर, वायरलेस ढलान, करमपदा आदि क्षेत्रों में फायर वाच टावर का निर्माण कराया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य जंगल में लगने वाली आग को इस टावर पर चढ़ कर देख पता लगाना की आग कहां लगी है। आग लगने वाले स्थान पर जाकर आग को बुझाना है।
लेकिन वन विभाग के पास उतना मैन पावर व संसाधन नहीं है। वह तो मुख्य सड़क के किनारे जंगल में लगी आग को भी नहीं बुझा पाती है। लोगों का यह भी कहना है कि सारंडा का अच्छा दृश्य देखने वाले स्थानों पर भी अगर यह वाच टावर बनाया गया होता तो कम से कम पर्यटकों को इसके ऊपर चढ़ अच्छा दृश्य देखने को मिलता, लेकिन इसका लोकेशन भी गलत चुना गया है, जो किसी काम का नहीं है। सिर्फ करोड़ों रुपये की बर्बादी है।
No comments:
Post a Comment