काफी गड़बड़ी हुई है। परीक्षा में 24 उम्मीदवार शामिल थे। उसमें से एक भी नहीं चयन किया गया है, जबकि खदान से रैयत किसानों की जमीन बर्बाद हो रहा है। और नदी नाला का पानी से खेत प्रभावित किया जा रहा है। सीएसआर के तहत गांव के उम्मीदवार बाहाली में भाग लिया था। राज्य सरकार कहती है निजी क्षेत्र में स्थानीय आदिवासी मूलवासी उम्मीदवार को 75% प्रतिशत नोकरी / रोजगार में स्थानीय को पहली प्राथमिकता देने कि घोषणा एवं प्रावधान किया गया है। उसके वावजुद खदान प्रबंधन अपनी मनमानी ढंग से राज्य से दुसरे राज्यों के उम्मीदवारों को चयन किया गया है।
प्रबंधन के मनमानी कार्य को स्थानीय आदिवासी मूलवासी ग्रामीण विरोध करते है। प्रबंधन स्थानीय ग्रामीणों के साथ हमेशा धोखे देकर आगे बढ़ रहे हैं। प्रबंधन कुछ भी विधि व्यवस्था उत्पन्न होने पर यहीं स्थानीय ग्रामीणों से मदद लेते हैं। अब नौकरी/ रोजगार के अवसर में स्थानीय उम्मीदवारों को दुध में गिरे मक्खी के सम्मान निकाल फेंक दिया जाता है और राज्य से दुसरे राज्यों के उम्मीदवारों को नियुक्ती किया जाता हैं। सेल प्रबंधन की इस नीति को लेकर स्थानीय आदिवासी मूलवासी काफी आक्रोश है। इसलिए गुवा, किरुगुरू, मेघाहातुपुरु विड़िया मनोहरपुर, खदान के बाहाली को तत्काल स्थागित एवं रद्द किया जाए।
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