चक्रधरपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम के तत्वावधान में स्थानीय सिविल कोर्ट परिसर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला की अध्यक्षता में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस दौरान गठित 10 बैंचों में मामलों की सुनवाई करते हुए न्यायिक पदाधिकारीयों ने कुल 94 वादों का सफल निष्पादन किया तथा 1256050.00 ( बारह लाख छप्पन हज़ार पचास रुपए मात्र) की राशि का समायोजन भी किया गया।
प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने बताया कि लोक अदालत विभिन्न प्रकार के वादों को सुलझाने का एक सक्षम और सुलभ मध्यम है। जिसमें लोग अपने सुलहनीय मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए अपील कर सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि आज के लोक अदालत में न्यायिक पदाधिकारियों योगेश्वर मणि, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय, ओम प्रकाश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम, सूर्य भूषण ओझा, ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय, कल्पना हजारिका जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, शंकर कुमार महाराज, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, विनोद कुमार, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, श्रीमती राजश्री अपर्णा कुजुर, न्यायिक दंडाधिकारी सीनियर डिवीजन, राजीव कुमार सिंह, सचिव ज़िला विधिक सेवा प्राधिकार, अमिकर परवार, रेलवे दंडाधिकारी, ऋषि कुमार, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी के द्वारा मामलों का निष्पादन किया गया। उपरोक्त जानकारी प्राधिकार के प्रभारी सचिव राजीव कुमार सिंह ने दी।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में रैफरल जजों की मध्यस्थ अधिवक्ताओं के साथ बैठक,मध्यस्थता को और व्यावहारिक व सहज बनाने के विभिन्न पहलुओं पर हुआ विचार-विमर्श ज़िला विधिक सेवा प्राधिकार चाईबासा के तत्वावधान मे स्थानीय सिविल कोर्ट परिसर स्थित बैठक कक्ष में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा विश्वनाथ शुक्ला की अध्यक्षता में रैफरल न्यायधीशों और प्राधिकार के कुशल मध्यस्थ अधिवक्ताओं के बीच मध्यस्थता के माध्यम से विभिन्न मुद्दों के निष्पादन के विषय पर तथा इसे और सुलभ व व्यावहारिक बनाने पर मंथन किया गया।
इस अवसर पर सभी को संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला ने न्यायिक व्यवस्था में मध्यस्थता के महत्व और उसके सामाजिक प्रभाव पर अपने विचार रखे। उन्होंने सभी लोगों के बीच मध्यस्थता के कई पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने दोनों पक्षों को समान रूप से आपसी सहमति के द्वारा मामले के सुखद निष्पादन पर होने वाली मानसिक और भावनात्मक रूप से संबंधों के सशक्त बने रहने को भी उपलब्धि पूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह मैत्रीपूर्ण तरीके से विवाद के समाधान का जरिया है, जिसमे दोनों पक्षों में किसी की हार नहीं होती, और कोई मानसिक भी पक्ष दवाब में भी नहीं होता।
बैठक में मध्यस्थ अधिवक्ताओं ने भी व्यावहारिक रूप से आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की और सुझाव भी दिया। बैठक में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार विश्वनाथ शुक्ला, न्यायिक पदाधिकारियों योगेश्वर मणि, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय, ओम प्रकाश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम, सूर्य भूषण ओझा, ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय, कल्पना हजारिका जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, शंकर कुमार महाराज, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, विनोद कुमार, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, श्रीमती राजश्री अपर्णा कुजुर, न्यायिक दंडाधिकारी सीनियर डिवीजन, राजीव कुमार सिंह, सचिव ज़िला विधिक सेवा प्राधिकार, अमीकर परवार, रेलवे दंडाधिकारी, ऋषि कुमार, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी उपस्थित थे। उपरोक्त जानकारी प्राधिकार के प्रभारी सचिव राजीव कुमार सिंह ने दी।
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