चक्रधरपुर। पश्चिमी सिंहभूम जिले के जोडा़पोखर गाँव में 2001 से चल रहा गिट्टी क्रेशर खदान का लीज समाप्त होने के बाद बिना समतल किये ही छोड़़ दिए जाने से लोगों में काफी आक्रोश हैं। इस बात को लेकर रविवार को दो गाँव जोड़ापोखर और बसाहातु के ग्रामीण मुंडा के देखरेख में एक बैठक संपन्न हुआ। दोनों मुंडाओ ने कहा की जिस तरह से खदान को छोड़ दिया गया है अगर इसको समतल नहीं किया जायेगा तो कभी भी एक बड़ा घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है .जानवर गिरकर मर सकता है उप्पर से अब यह गड्ढा कोई काम का नहीं है। इसलिए सरकार से बंद कर देने की मांग कर रहें हैं।
जिला परिषद जॉन मिरन मुंडा ने कहा की समता जजमेंट मे आदिवासी इलाके मे खदान करने का गाइड दिया गया है, लेकिन कोई भी खदान मालिक इसका अनुपालन नहीं करता है। जिसके कारण खदान क्षेत्र में लाभ की जगह नुकसान देखने को मिलती है। इसलिए हमेशा से आदिवासी खदान का विरोध करते रहें है। सरकार को सोचना होगा अगर ऐसे ही खदान के नाम पर आदिवासियों का जमीन लुटा जायेगा और विकास के जगह पर विनाश किया जायेगा तो आने वाले दिनों मे कभी सरकार खदान नहीं खोल पायेगा।
आज समता जजमेंट राज्य सरकार लागु नहीं करा रही है जिससे साफ होता है की झामुमो की सरकार भी आदिवासियों के हित नहीं सोचती सिर्फ घोषणा करती है। झामुमो सरकार पेसा कानून और समता जजमेंट और किसानो के लिए सिंचाई सुविधा करा देते तो झारखण्ड का सभी समस्या खत्म हो जाता लेकिन झारखंड झामुमो की सरकार बीजेपी का बी टीम जैसा ही काम कर रहा है।
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