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चक्रधरपुर के पोटका में बारिश से 9 गरीबों के कच्चे मकान हुए जमींदोज, गरीबों पर फूटा संकट के बादल, नहीं मिल रही सरकारी मदद , Due to rain in Potka of Chakradharpur, kutcha houses of 9 poor people got razed to the ground, clouds of crisis spread over the poor, they are not getting government help.

 


चक्रधरपुर। लगातार हो रही बारिश से गरीबों पर आफत बनकर टूट पड़ा। गरीबों के कारण जैसे तैसे कर कच्चा मकान बना कर रह रहे लोगों को बारिश में पुरी तरह बेघर कर दिया। सबसे ख़राब हालात चक्रधरपुर के पोटका में देखने को मिली है। जहां कच्चे मकान में लोग रहते हैं। बारिश में यहाँ ज्यादातर कच्चे मकान ढह गए हैं। इतना सबकुछ होने के बाद भी कोई भी सरकारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि इन गरीबों की सुध नहीं ले रहा है और ना ही इन्हें मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।


जानकारी के अनुसार चक्रधरपुर के पोटका में कच्चे मकान गिरने की संख्या बढती जा रही है। बुधवार सुबह तक  9 लोगों के घर या तो लगातार बारिश में ढह गए थे या फिर ढहने के कगार पर आ चुकी थी। जिन लोगों के कच्चे मकान इस बारिश में जमींदोज हुए हैं उनमें तुलसी बोदरा, मालती हेम्ब्रम, कुंवर सिंह बोदरा, बागुन जामुदा, सूनील बोदरा, शलुका दोंगो, रातिलाल नायक, लेपरा नायक और रूकमनी मुरमू शामिल हैं। ये सभी कच्चे मकान में रहते थे। प्राकृतिक आपदा में अपना आशियाना खो चुके ये सभी गरीब पीड़ित लोग बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं। जबकि सरकार कहती है की प्राकृतिक आपदा में सरकार हर तरह की मदद को तैयार है। 


लेकिन सोमवार से हो रही रुक  रुक कर भारी बारिश में इनके कच्चे मकान ढह गए हैं। राहत की बात है की मकान ढहने से किसी को चोट नहीं आई है, लेकिन प्राकृतिक आपदा ने इनके सिर से छत छीन लिया है। जहाँ इनके घर ढह गए हैं वहीँ अब लगातार हो रही बारिश में इन्हें सिर छिपाने तक की जगह नहीं है। पीड़ितों ने बताया की उन्होंने पीएम आवास के लिए आवेदन भी दिया था, लेकिन उन्हें पीएम आवास का लाभ नहीं मिला। कई लोग पीएम आवास का आवेदन भरकर राह तकते रह गए। वे स्वर्ग भी सिधार गए, लेकिन उन्हें पक्का मकान बनाने के लिए सरकारी योजना से मदद नहीं मिली.गरीबों का पक्का मकान बन गया होता तो गरीबों को इस लगातार बारिश में ज़िन्दगी से जद्दोजहद नहीं करना पड़ता। 

पोटका के युवा सामाजिक कार्यकर्ता एलन मुंडा का कहना है की पोटका में बड़ी संख्या में लोग कच्चे मकान में रहते हैं। प्राकृतिक आपदा में इन्हें हर साल कोप का भाजन बनना पड़ता है, लेकिन सरकार और प्रशासन के द्वारा इन पीड़ितों को कोई मदद नहीं दी जाती है। अब जिनके मकान गिरे हैं उनके लिए कई साडी समस्या उठ कड़ी हुई है। गरीबी में फिर से घर कैसे बनायें, फिलहाल कहाँ रहें, कहाँ खाना पकाएं कहाँ खाएं और कहाँ रहें । ये समस्या इन लोगों पर टूट पड़ी है। पीड़ितों को मदद की जरुरत है।

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