बैठक जोजोगुटू गांव में हुई। युवकों ने छोटानागरा पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम से भी मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताईं। बामिया माझी ने कहा कि सारंडा में एक तरफ नक्सल समस्या बढ़ने लगी है, वहीं सेल की गुवा समेत तमाम खदान प्रबंधन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार नहीं दे रही है। कुछ को रोजगार दिया भी था तो उसे काम से बैठा दिया गया है।
ऐसी स्थिति में बेरोजगार युवकों को लेकर चिंता बढ़ रही है। बीते दिनों सारंडा के ग्रामीणों एवं बेरोजगारों ने सेल की चारों खदानों में आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा की थी। अंततः उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद यह आंदोलन स्थगित हुआ था। सभी खदान प्रबंधनों को उपायुक्त ने प्रभावित गांव के बेरोजगारों के लिये रोजगार सृजन का निर्देश दिया था।
इसकी समीक्षा बैठक डेढ़ माह बाद होनी थी, जो नहीं हुई है। बामिया माझी ने कहा कि सेल की गुवा प्रबंधन अपने खदान से प्रभावित गांव जोजोगुटू, छोटानागरा, राजाबेड़ा, तितलीघाट, बाईहातु, सोनापी आदि गांवों के 35 बेरोजगारों को राजाबुरु खदान में काम दी थी। लेकिन एक साथ सभी को यह कहकर काम से बैठा दिया कि टेंडर खत्म हो गया है। जब ग्रामीण प्रतिनिधि इस मामले को लेकर गुवा प्रबंधन से बात करने गये तो उनके एक अधिकारी ने उनसे गलत व्यवहार किया तथा सीआईएसएफ से धक्का मारकर निकालने की धमकी दी थी। प्रबंधन के इस बर्ताव से सारंडा के ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।
अब सारंडा के ग्रामीण नये सिरे से आंदोलन की तैयारी गुवा प्रबंधन के खिलाफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले उपायुक्त व संबंधित अधिकारियों को मांग पत्र भेजकर धरना-प्रदर्शन किया जायेगा। उसके बाद आर्थिक नाकेबंदी की जायेगी। हमारी मांग सभी खदान प्रबंधन सारंडा के बेरोजगारों को रोजगार दे एवं सीएसआर योजना के तहत गांवों का विकास करे।
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