रांची। झारखंड सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है. 2023-24 के बजट में सरकार ने स्कूली शिक्षा विभाग के लिए 12546 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, लेकिन स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट नहीं घट पा रहा है। झारखंड में ड्रॉप आउट के एनुअल आंकड़े चिंताजनक हैं। सबसे अधिक ड्रॉपआउट प्लस टू के बच्चे हो रहे हैं। राज्य के 5 जिले गढ़वा, साहिबगंज, गुमला, सिमडेगा और खूंटी में 15 फीसदी से ज्यादा बच्चे ड्रॉपआउट हुए हैं। वहीं प्राइमरी स्कूल में सबसे अधिक ड्रॉपआउट गुमला जिले के बच्चे हुए हैं। कुल 5.65 फीसदी बच्चे यहां ड्रॉपआउट हुए हैं, जबकि सेकेंडरी स्कूल में सबसे अधिक 10.29 फीसदी बच्चे पूर्वी सिंहभूम में ड्रॉपआउट हुए हैं।
राज्य के 24 जिलों के प्राइमरी स्कूलों से 2.36 फीसदी छात्र और 1.14 फीसदी छात्राएं ड्रॉपआउट हुए हैं। यानी कुल 1.78 फीसदी बच्चे प्राइमरी स्कूलों से ड्रॉपाउट हुए हैं। वहीं सेकेंडरी स्कूलों से 3.20 फीसदी बच्चे ड्रॉप आउट हुए हैं। इनमें 3.71 फीसदी लड़के और 2.69 फीसदी लड़कियां शामिल हैं। सबसे बुरा हाल प्लस टू स्कूलों का है। यहां करीब 7.98 फीसदी बच्चे ड्रॉप आउट हुए हैं। इनमें 8.42 फीसदी लड़के और 7.55 फीसदी लड़कियां शामिल हैं।
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