वह झारखण्ड अलग राज्य के आंदोलन में प्रमुख नेताओं में से थे। वे झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। हरेलाल महतो ने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन के दौरान निर्मल दा ने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए दार्जिलिंग में सुभाष घीसिंग और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत तथा भृगु कुमार फूकन से मिलने असम भी भेजा। हरेलाल महतो ने कहा कि झारखंड में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ धनबाद बंद का मिला-जुला असर,जगह-जगह प्रदर्शन किया गया था।
इस घटना से झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व तत्कालीन भारत के गृह मंत्री बूटा सिंह को दिल्ली में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी आखिरकार झारखंड स्वायत्तशासी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह देखने के लिए निर्मल दा जीवित नहीं रहे और 8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो की हत्या कर दी गई थी। हरेलाल महतो ने कहा कि निर्मल दा के सपनों का सुख, समृद्धि, शांति, चहुंमुखी विकास का झारखंड बनाना हम सब का दायित्व है।
इस अवसर पर आजसू पार्टी के चांडिल प्रखंड अध्यक्ष दुर्योधन गोप, सुनीता साहु, मनोज मंडल, प्रीतम गोराई, सुमित कुमार महतो, सुरेन तंतुबाई आदि उपस्थित थे।
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