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अगर रामकृष्ण सत्य है तो राम और कृष्ण दोनों सत्य है : सुनील कुमार दे, If Ramakrishna is true then both Ram and Krishna are true: Sunil Kumar De,


हाता। भगवान राम और भगवान कृष्ण को बहुत सारे लोग काल्पनिक चरित्र समझते हैं। रामायण महाभारत महाकाव्य का महानायक समझते हैं। उन दोनों महान पुरुषों के लेकर राजनीति करते हैं, उल्टा फुलटा बोलते हैं, टीका टिप्पणी करते हैं। रामायण और महाभारत केवल महाकाव्य नहीं, बल्कि भगवान की लीला गाथा है। जिसमें भगवान मानव शरीर धारण करके लीला किये थे उसी का वर्णन है। राम और कृष्ण का सम्मिलित रूप है रामकृष्ण परमहंस देव जिन्होंने 1836 के 17 फरवरी को मानव शरीर धारण करके अवतरित हुए थे और लीला किये थे।


अगर रामकृष्ण परमहंस सत्य है,इतिहासिक पुरूष है, अवतार है, भगवान है तो राम और कृष्ण भी सत्य है,इतिहासिक पुरूष है, अवतार है और भगवान है, क्योंकि रामकृष्ण ने शरीर छोड़ने के पूर्व उनके प्रिय शिष्य नरेन अर्थात स्वामी विवेकानंद को कहा था,,जो राम वही कृष्ण वही अब रामकृष्ण बनकर आया है, लेकिन तुम्हारा वेदांत की दृष्टि से नहीं।क्यों वेदांत में अखण्ड़ सचिदानंद ब्रह्म कभी खंडित नहीं होते हैं, लेकिन भक्ति शास्त्र के अनुसार भक्तजनो के लिए भगवान अवतार लेते हैं लीला विलास करने के लिए।


गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है,, संभवामि युगे युगे।रामकृष्ण देव नरेन को केवल कहा ही नहीं था वे उनके अंदर नरेन को राम और कृष्ण का रूप भी दर्शन कराया था।रामकृष्ण देव तंत्र गुरु भैरवी ब्राह्मणी और गोपाल के मा को गोपाल रूप दिखाया था। भक्त भैरव गिरीश चंद्र घोष भी रामकृष्ण के अंदर राम और कृष्ण को देखा था। इस तरह अनेक उदाहरण है जिसके माध्यम से हम जान पाते हैं कि जो राम वही कृष्ण वही इस युग में रामकृष्ण बनकर आये थे।इसलिए राम और कृष्ण कोई काल्पनिक शब्द नहीं है वे दोनों अवतारी पुरुष है, हमारे आराध्य है, देवता हैं और भगवान है।


कोई माने या न माने इसे कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन जो मानते हैं उसको कोई बाधा नहीं दे सकते हैं, किसी की इष्ट देवता पर अंगुली उठा नहीं सकते हैं, गाली नहीं दे सकते हैं, बाहरी नहीं बोल सकते थे। भगवान को नहीं मानने से भगवान का कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन जो भगवान को मानते हैं उसके लिए भगवान चिन्ता में पड़ जाते हैं। इसलिए भगवान राम और भगवान कृष्ण को लेकर कोई राजनीति न करें। किसी को अच्छा नहीं लगता है तो न माने, लेकिन जो मानते हैं उनकी भावना और आस्था पर आघात करने का अधिकार किसी का नहीं है।

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