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फुरसत में साहित्यिक कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्र द्वारा संपादित *जीवन दर्पण *पुस्तक का हुआ लोकार्पण , In literary leisure time, the book *Jeevan Darpan* edited by poet and storyteller Padma Mishra was released,


 साहित्यिक समूह फुरसत में हुआ लोकार्पण-मव कार्यकारिणी गठित 

जमशेदपुर। 25 दिसंबर को फुरसत में साहित्यिक समूह की विशिष्ट बैठक में कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्र द्वारा संपादित *जीवन दर्पण *पुस्तक का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा सरित किशोरी श्रीवास्तव और संचालन डा. मनीला कुमारी ने किया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती को पुष्प अर्पण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। लोकार्पण के पश्चात अतिथियों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया और सभी ने अपने भावोद्गार व्यक्त किये.जीवन दर्पण* वरिष्ठ दिवंगत साहित्यकार स्व डा मणीन्द्र नाथ पाण्डेय की कविताओं का संकलन है। जिसका संपादन उनकी पुत्री पद्मा मिश्रा ने किया। पुस्तक परिचय देते हुए डा मीनाक्षी  कर्ण कहती हैं।


पिता को समर्पित एक पुत्री के हृदय का उदगार है "जीवन- दर्पण :एक युग एक यात्रा"। एक पुत्री  के द्वारा अपने पिता के लिए इससे बड़ी सच्ची श्रद्धांजलि नहीं हो सकती जिसमें पूरे जीवन को एक दर्पण की तरह पारदर्शी रूप में प्रस्तुत किया है। कवयित्री कथाकार माधुरी मिश्रा ने भी अपने भाव सुमन अर्पित करते हुए कहा*अपनी व्यस्तता के बीच भी अपने पिता की कविताओं का संकलन निकालना और उसे पटल पर प्रस्तुत करना.एक प्रशंसनीय कार्य है। अपनी संस्था के संबंध में वे कहती हैं कि अन्य संस्थओं की तरह विवादों. विरोधाभासों से परे शांति और सुकून के साथ फुरसत में सृजन करना सचमुच गौरवान्वित करता है।



मुख्य अतिथि एवं संस्था की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती आनंद बाला ने अपने संबोधन में डा पाण्डेय की एक रचना *आओ मिलकर दीप जलायें *का पाठ किया और  सभी को अपना आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे पिता सबके हों और ऐसी पुत्री भी..सभी सदस्य को बधाई देते हुए फुरसत में समूह की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की.उनकी गरिमामय उपस्थिति सबके लिए प्रेरणादायक थी।


डा सरित किशोरी श्रीवास्तव ने गंगा उदास है*रचना प्रस्तुत की.और बताया कि जीवन में माता पिता दोनों ही सुख की छांव होते हैं..कुछ भावनाएं ऐसी भी.होती हैं। जिन्हें अभिव्यक्त कर पाना आसान नहीं होता। विशिष्ट अतिथि श्रीमती छाया प्रसाद ने *मैं कवि हूं *कविता पढकर सबको प्रभावित किया। वरिष्ठ कथाकार .गीता दुबे ने जीवन दर्पण से ही एक रचना*आपके जाने के बाद *पढी और भावुक हो गई। डा मनीला कुमारी ने इस आयोजन को सुचारु रुप से संचालित करते हुए कहा*एक पुत्री द्वारा पिता को भावनात्मक श्रद्धांजलि है यह जीवन दर्पण. पद्मा जी की इस भावना का हम सम्मान करते हैं और  गौरवान्वित हैं।


कार्यक्रम के अंत में नयी कार्यकारिणी का गठन हुआ। जिसमें.मार्गदर्शक और संरक्षक के पद पर श्रीमती आनंद बाला शर्मा. डा सरित किशोरी श्रीवास्तव तथा श्रीमती छाया प्रसाद को चयनित किया गया तो अध्यक्ष पद पर पद्मा मिश्रा और उपाध्यक्ष बनी.श्रीमती रेणुबाला मिश्र. सचिव डा मनीला कुमारी..कोषाध्यक्ष डा मीनाक्ष कर्ण. और प्रबंध समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती माधुरी मिश्र बनायी गई। मीडिया प्रभारी का संयुक्त दायित्व पद्मा मिश्रा और गीता दुबे ने संभाला।


धन्यवाद  ज्ञापन करते हुए श्रीमती पद्मा मिश्रा ने सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अपने पिता की कविताओं का लोकार्पण अपनी संस्था के सौजन्य से ही हो। यह उनका सपना था जो साकार हुआ है। अपने पिता को मेरी यह आत्मिक मौन श्रद्धांजलि है और नवगठित कार्यकारिणी को हार्दिक बधाई दी।

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