गुवा। वीर शहीद पोटो हो की जन्म गाँव जयंगढ़ स्थित राजाबासा में सोमवार को शहीद दिवस मनाया गया। सर्व प्रथम ग्रामीण दिउरी सिंगा बालमुचू, कृष्णा जोजो, सुशील बालमुचू के द्वारा पूजा अर्चना किया गया। आदिवासी हो समाज महासभा के केंद्रीय महासचिव सोमा कोड़ा ने संबोधित करते हुए कहा की कुछ वर्ष पूर्व से पोटो हो का नाम झारखंड सहित राष्ट्रीय स्तर पर एक नायक के रूप में उभरकर सामने आया है। इसका श्रेय लंदन, कोलकाता, दिल्ली पटना के रिकॉर्ड रूम से कंगाल कर (अ लैंड ऑफ देयर ओन)फॉर्मेशन ऑफ ऑटोनोमस हो कंट्री नामक पुस्तक का प्रकाशन करने वाले नीदरलैंड के स्कॉलर डॉ. पॉल स्ट्रीमर को जाता है।
साथ ही डॉ. एम साहू लिखित कोल्हान अंडर द ब्रिटिश रूल और डॉ अशोक कुमार सेन लिखित विस्मृत हो आदिवासियों की इतिहास में भी रिकॉर्ड का उल्लेख है। एक जनवरी को पोटो हो का शहादत दिवस है। उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने एक जनवरी 1838 को सुबह जगन्नाथपुर नोवामुंडी मुख्य मार्ग के तत्कालीन थाना परिसर में स्थित बरगद पेड़ पर लटकाकर फांसी की सजा दी थी। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष मंजीत कोड़ा ने कहा की खरसावां शहीद दिवस की तरह सरकार की ओर से पोटो हो शहीद को मनाया जाना चाहिए। सरकार एवं प्रशासन की ओर से हमेशा से उपेक्षा की जाती है।
यह बहुत ही गंभीर विषय है। शहीद स्थल पर अवैध कब्ज़ा किया गया। मौके पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा के केंद्रीय पूर्व उपाध्यक्ष भूषण लागूरी, प्रखंड अध्यक्ष पुत्कर लागुरी, अनुमंडल संगठन सचिव बिंदु सिंह लागुरी, झामुमो युवा जिला अध्यक्ष मुन्ना सिंकु, युवा कांग्रेस विधानसभा सभा अध्यक्ष धीरज गागराई, गुरुचरण सोय, सुकमती पुरती, बाली लागुरी, सुभाष लागुरी, सिंगा बालमुचू सहित काफी संख्या में लोग इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए।
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