चांडिल। सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत नीमडीह प्रखंड के दलमा पर्वत श्रृंखलाओं के तलहटी पर बामनी गांव में स्थित है ब्रिटिश कालीन विरासत माता मंगल चंडी (माता दुर्गा का मंगलमयी रूप) प्रसिद्ध प्राचीन आस्था का केंद्र माता खेलाई चंडी पाठ। अखान यात्रा के पावन अवसर पर मंगलवार को इस प्रसिद्ध प्राचीन मां मंगल चंडी पाठ में झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा के श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने मन्नते पूरी होने पर पास स्थित तालाब में मिट्टी उठाव की रस्म पूरी की एवं देश, राज्य, गांव एवं परिवार की मंगल कामनाओं की प्रार्थना किया। उसके बाद हजारों श्रद्धालुओं ने मां मंगल चंडी पाठ में श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना किया। व्रतीयों ने तालाब से स्नान कर मंगल चंडी पाठ तक दंडी (जमीन पर लेटते हुए) पहुंचे।
बामनी में मां मंगल चंडी पाठ में आजसू के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने माथा टेक कर पूजा अर्चना किया और देश के साथ ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के निवासियों की सुख, यश, वैभव, समृद्धि एवं शांति के लिए प्रार्थना किया। इसके पूर्व हरेलाल ने मिट्टी उठाव रस्म पूरी की। इस मौके पर हरेलाल महतो ने कहा कि माता मंगल चंडी देश एवं ईचागढ़ विधनसभा क्षेत्र के निवासियों को कुशल मंगल रखें। क्षेत्र में सुख शांति प्रदान करें।
मां मंगल चंडी पाठ पूजा समिति के संरक्षक 52 मौजा के जमींदार स्व. शंकरी प्रसाद सिंह पात्र के कनिष्ठ पुत्र नीमडीह के जिला परिषद सदस्य असित सिंह पात्र ने कहा कि यह आस्था का केंद्र ब्रिटिश युग की सूत्रपात के दौर से हुआ है। उनके आठवीं पीढ़ी के पूर्वजों ने इस स्थान पर मां मंगल चंडी की पूजन का शुभारंभ किया था। यह आस्था का प्राचीन परंपरा इस क्षेत्र के निवासियों के मन आज भी विश्वास बनाए रखा है। इस सिद्ध पीठ पर जो भी मनोकामनाएं की जाती है वह पुरी होती है।
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