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राम मंदिर प्रतिष्ठा एक एतिहासिक क्षण : सुनील कुमार दे, Ram Mandir Pratistha is a historical moment: Sunil Kumar De,


हाता। आज अयोध्या में राम मंदिर प्रतिष्ठा और भगवान राम को लेकर केवल पूरे देश ही नहीं विश्व में कोने कोने में खुशी, आनंद,उमंग का वातावरण है। कहा जाय तो पूरा देश आज राममय हो गया है। अपने अपने तरीके से सब कोई खुशी माना रहे हैं। राम केवल सनातन हिन्दू धर्म का अवतार और उपास्य देवता ही नहीं है राम सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए एक प्रेरणा पुरुष और आदर्श है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम है। भगवान होते हुए भी उनमें मानव भाव ज्यादा है। उन्होंने पूरे जीवन में मर्यादाओ को स्थापित किया है। एक आदर्श पुत्र,एक आदर्श पति, एक आदर्श भाई,एक आदर्श राजा,एक आदर्श सखा के रूप अपने आपको दर्शाया है। जिनको हम अनुकरण कर सकते है।


भगवान राम के अंदर कोई जातपात, छूत अछूत और भेदभाव नहीं था। उन्होंने भील कन्या शबरी,नीच जाति के केवट,निषाद राज,वानर,हनुमान,भालू,राक्षस जाति के विभीषण आदि सभी आर्य अनार्य लोगों को प्यार दिया था,गले लगाया था,अपना बनाया था। राम को भगवान के रूप में नहीं तो एक आदर्श मानव के रूप में मान ही सकते हैं।उनके महान चरित्र को ग्रहण कर ही सकते है। इसलिए राम को लेकर कोई विवाद और राजनीति का जगह नहीं है।राम हमारा तुमारा सबका है।आज बहुत खुशी की बात है कि बहुदिनों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में हमारे आराध्य रामलाला की प्रतिष्ठा हो रहा है, उनको अपनी जगह पर बैठाया जा रहा है।


इस मंदिर निर्माण के पीछे अनेक राम भक्त का त्याग और वलिदान है, लेकिन सबसे बड़ी बात राम जी की कृपा हुई तभी यह चमत्कार हुई। इसके लिए सभी देशवासियों को गर्व मौसूस करना चाहिए और इस महान कार्य के लिए अपने अपने स्तर से और अपने अपने तरीके से खुशी मनाना चाहिए।


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