चक्रधरपुर। बंदगांव प्रखंड के भालुपानी गांव में मागे पर्व पर पूजारी या दिऊरी, मुंडा, मानकी आग पर चलकर गांव में सुख शांति के लिए परीक्षा दिये। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ.विजय सिंह गागराई थे एवं विशिष्ट अतिथि मुख्य सावित्री मेलगांडी थी। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ.विजय सिंह गागराई ने कहा कि आदिवासी समुदाय का देवता सिंगबोंगा को खुश एवं भक्ति करने तथा गांव में सुख समृद्धि के लिये दिऊरी एवं ग्रामीण आग पर चल कर परीक्षा देते हैं।
उन्होंने कहाकि हम सबों को मागे पर्व काफी आस्था एवं विश्वास के साथ मनाने की जरूरत है। मुखिया सावित्री मेलगांडी ने कहा कि मागे पर्व आदिवासी समुदाय का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। हम सभी को यह त्योहार आदिवासी परंपरा से मनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा इस त्योहार में कोई भी लड़ाई झगड़ा ना करें। सभी लोग शांतिपूर्ण तरीके से त्यौहार मनाएं। गांव के समाजसेवी सीताराम मेलगांडी ने बताया कि गांव में मागे पर्व के अवसर पर सुख समृद्धि के लिए पूजा की जाती है, लेकिन पूजक व सहयोगियों को आग पर चलकर परीक्षा देनी होती है.ग्रामीण देखते हैं।
अगर आग पर चलने से किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई, तो पूजा ठीक हुई है. दिऊरी को तकलीफ हुई, तो पूजा में चूक होने की बात कही जाती है। मागे पर्व के जातरा के दिन गांव के चौराहे में लकड़ी जलाकर अंगार जमा किया जाता है। दियुरी एवं उसके सहयोगी पूजा-अर्चना के बाद आग पर चलने के दौरान कुछ समय आग के ऊपर खड़े रहते हैं। इसके बाद नृत्य कर आग बुझा दी जाती है। इस मौके पर ग्राम दिऊरी ब्रजमोहन मेलगांडी, मुंडा हरिश चंद्र प्रधान, गुरूदेव मेलगांडी, मानकी मुकरू मेलगांडी सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
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