गुवा। सारंडा जंगल के किरीबुरु वन प्रक्षेत्र अन्तर्गत मर्चीगड़ा गांव निवासी स्व. साहू हपदगड़ा के घर को गुरुवार की रात लगभग 8.30 बजे 8 हाथियों के समूह ने तोड़ दिया। घटना के समय घर में कोई मौजूद नहीं था। साहू और उनकी पत्नी की मौत पहले ही हो चुकी है। उनके चार छोटे-छोटे बच्चों का भोजन व वस्त्र आदि की व्यवस्था लगभग 3 वर्षों तक सामाजिक कार्यकर्ता संतोष पंडा कर रहे थे। संतोष पंडा व चाईल्ड लाइन के संयुक्त प्रयास से चारों बच्चों का जिला प्रशासन द्वारा कस्तूरबा व अन्य सरकारी स्कूल में नामांकन कराया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 8 हाथी ने घर को चारों ओर से घेर लिया। इसमें दो बच्चे भी थे।
हाथियों ने पहले दीवार व छत तोड़ दिया। इसके बाद घर में रखे टेलीविजन, बिस्तर, बर्तन, बक्सा, खटिया आदि सभी सामान को तोड़ दिया। ग्रामीण हाथी को भगाने की काफी कोशिश किये, लेकिन वे भाग नहीं रहे थे। उल्लेखनीय है कि इस घटना से एक दिन पूर्व भी हाथियों ने हिल्टॉप के डालमिया बस्ती के चार ग्रामीणों का घर तोड़ दिया था। सारंडा में हाथी जहां-जहां भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं वह क्षेत्र हाथियों का प्रारम्भ से कॉरिडोर रहा है। हाथियों के कॉरिडोर वाले जंगल को काट व इन्क्रोचमेंट कर दर्जनों नये गांव बसा लिये गये हैं।
उनके कॉरिडोर प्रभावित होने की वजह से हाथी हिंसक रुख अपनाये हुये हैं। हाथियों के आतंक से दर्जनों वन व इन्क्रोचमेंट गांव के ग्रामीण भयभीत हैं। इन्क्रोचमेंट वन भूमि पर बसे लोगों को वन विभाग द्वारा मुआवजा भी नहीं दिया जाता है। इससे ग्रामीणों की परेशानी के साथ-साथ नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती है।
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