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ग्रामीणों के बीच डायन प्रथा उन्मूलन पर जन जागरूकता फैलाने के लिए तीन जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना, To spread public awareness on eradication of witchcraft among the villagers, three awareness vehicles were flagged off.


 चक्रधरपुर। पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय परिसर से जिला उपायुक्त कुलदीप चौधरी के द्वारा उप विकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा, सदर चाईबासा अनुमंडल पदाधिकारी  अनिमेष रंजन एवं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती की उपस्थिति में जिला समाज कल्याण कार्यालय के तत्वाधान पर संचालित तीन जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाकर क्षेत्र भ्रमण हेतु रवाना किया गया। इस ऑडियो जागरूकता वाहन के माध्यम से गांव में पहुंच कर ग्रामीणों के बीच डायन प्रथा उन्मूलन पर जन जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा। डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के तहत किसी महिला को डायन के रूप में पहचान करने वाले तथा उसे पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कार्रवाई करने वाले को अधिकतम 3 महीने तक कारावास की सजा तथा ₹1000 जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। 


इसके अलावा किसी महिला की डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना देने, जानबूझकर या अन्यथा प्रताड़ित करने पर 6 माह की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा ₹2000 तक जुर्माना अथवा दोनों प्रावधानित है। उक्त के आलोक में उपायुक्त के द्वारा बताया गया कि जिला के सुदूरवर्ती ग्रामों से समय-समय पर डायन बिसाही के नाम पर महिलाओं के साथ क्रूरता के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। डायन प्रथा मुख्यतः समाज के लिए एक अभिशाप है, जिसका शिकार ज्यादातर गरीब, कमजोर एवं विधवा,एकाल महिलाएं होती है। समाज कल्याण कार्यालय द्वारा संचालित जागरूकता रथ गांवों में जन जागरूकता के साथ ही डायन प्रथा उन्मूलन के लिए कार्य करेगी।

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