चक्रधरपुर। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्विद्यालय चक्रधरपुर में शिवरात्रि महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अथिति के रूप में समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई, भगेरिया फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज भगेरिया, सीआरपीएफ 60 बटालियन के सेकेंड कमांडेंट की धर्मपत्नी रितु खत्री उपस्थित थी। मौके पर संस्था कि संचालिका दीदी मानीनी दास ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मकुमारी शिव बाबा के झंडोतोलन के साथ हुआ।
इस अवसर पर द्वादश ज्योतिर्लिंग कि विधिवत पूजा अर्चना व विशेष आरती की गई है। साथ ही शिव भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर डॉ विजय सिंह गागराई ने शिवरात्रि के वास्तविक अर्थ पर प्रकाश डाला और बताया कि मनुष्य बड़ी श्रद्धा व उत्साह से शिव रात्रि मनाते हैं.अर्ध रात्रि से ही लाइन में लग जाते हैं। शिवजी पर जल व दूध के साथ साथ अर्क के फूल , धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाते हैं, जो कि सामान्यत देवी देवताओं पर चढ़ाए जाते।
क्या कभी सोचा है क्यों? देवी देवताओं पर खुशबू दार फूल व मिठाई एव शिव पर भांग, धतूरा इत्यादि, बेर अर्थात् अंदर की ईर्ष्या बैर भाव को चढ़ाना, धतूरा विषय विकारों के अर्पण का प्रतीक है। भांग का अर्थ है कि परमात्मा के प्यार का नशा करना है। स्थूल भांग का नहीं, तभी हमारे भंडारे भरपूर होंगे। बेल पत्र तीनों कालों को दर्शाते है कि आदि में हम ही देवी देवता थे और हमने फिर से उस देव पद प्राप्त करना है। शिवलिंग पर तीन लाइन व बिंदु दर्शाता है कि शिव तीनों लोकों के स्वामी हैं। त्रिलोकी नाथ है, स्वयंभू हैं। जन्म मरण में नहीं आते। वह सृष्टि के अंत में तन का आधार लेते हैं, जिसका शास्त्रों में भी गायन है कि परमात्मा ने बूड़े ब्राह्मण के तन में प्रवेश किया व साधु-बनिया पहचान नहीं पाया।
इस समय चारों ओर अंधेरा है व परमात्मा शिव का धरा पर अवतरण अज्ञानता के अन्धकार को मिटाने शिवरात्रि पर होता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य संचालिका दीदी मानीनी दास, ब्रह्माकुमारी गीता दीदी, ब्रह्माकुमारी सुशीला दीदी, ब्रह्म कुमारी संगीता दीदी, ब्रह्मकुमारी वीना दीदी, ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी, ब्रह्मकुमारी कमला पोद्दार दीदी, ब्रह्मकुमारी इंदिरा दीदी, ब्रह्मकुमारी सुमित्रा दीदी, भाई राजेश कुमार, भाई शंभू पोद्दार, भाई राजू समेत कई शिव भक्त उपस्थित थे।
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