Guwa (Sandeep Gupta) । सारंडा स्थित थोलकोबाद गांव के दिउरी टोला एवं गाडा़ टोला के ग्रामीणों को वर्षों से शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। दोनों टोला के अलावे कुछ अन्य टोला के ग्रामीण आज भी नाला का पानी सभी कार्यों में इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। उल्लेखनीय है कि थोलकोबाद बाद सारंडा का ऐतिहासिक गांव है। यहाँ अंग्रेजों के समय बनाया गया वन विश्रामागार था। जिसे बाद में नक्सलियों द्वारा उडा़ने के बाद पुनः वन विभाग ने उसी स्थान पर नया वन विश्रामागार बनाया है।
यहाँ अंग्रेजों के समय से आज तक काफी संख्या में पर्यटक आना-जाना करते रहते हैं। गांव के परम टोला, बीच के गोंड टोला में वन विभाग द्वारा वर्ष 2016 में दो सोलर जलमीनार तथा स्कूल पास पंचायत निधि से एक सोलर जलमीनार लगाया गया है। इन सोलर जलमीनारों से ग्रामीणों की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसी वजह से ग्रामीण प्राकृतिक नाला में चुआं बनाकर पेयजल व खाना बनाने हेतु पानी ले जाते हैं। ग्रामीण कमसे कम दिउरी और गाडा़ टोला में अलग-अलग सोलर चालित जलमीनार लगाने की मांग कर रहे हैं।
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