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Jamshedpur. साइबर अपराधियों ने फर्जी ऑनलाइन चालान भेज कर रहे फर्जीवाड़ा, Cyber ​​criminals are committing fraud by sending fake online challans.


Upgrade Jharkhand News । साइबर अपराधियों ने ठगी करने का नया तरीका इजाद किया है। अब लॉटरी लगने, इनकम टैक्स, ईडी अथवा सेंट्रल जांच एजेंसी का हवाला देकर डिजिटल अरेस्टिंग करने वाले साइबर अपराधियों ने अब देश के ट्रांसपोर्ट विभाग के वेबसाइट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसका खुलासा शहर में तब हुआ जब विजय गार्डन की महिला स्वाति पटनायक के मोबाइल पर ट्रांसपोर्ट परिवहन विभाग का ई चालान भेजा गया। 



उसमें झारखंड परिवहन विभाग का वेबसाइट का लिंक भी भेजा गया जिसमें नोटिस पाने वाले को लिंक का इस्तेमाल कर छह हजार का भुगतान करने को कहा गया। उसके पति शक्ति प्रसाद पटनायक के नाम से एक कार है। उसे कर के नंबर के आधार पर सोमवार को उसे अपने व्हाट्सएप नंबर पर एक चालान प्राप्त हुआ। उसमें ₹6000 ऑनलाइन भुगतान करने का निर्देश था। मामला जून 2022 का दिखाया गया था। जिसमें मोटर व्हीकल एक्ट की बजाय आईपीसी की धाराओं का उल्लेख था। स्वाति ने अपने परिचित वकील श्रीकांत सिंह को चालान के बारे में जानकारी दी और कोर्ट के माध्यम से भुगतान करने की हामी भरी।



वकील श्रीकांत सिंह ने जब कोर्ट में उसे चालान के बारे में जानकारी प्राप्त की। तो वहां इससे संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। अधिवक्ता श्रीकांत सिंह ने साक्षी ट्रैफिक थाना से जानकारी ली तो पदाधिकारी दंग रह गए और उन्होंने कहा कि यातायात पुलिस कभी भी आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धाराओं के तहत चालान नहीं भेजती है। स्पॉट फाइन नहीं देने वालों का दस्तावेज एमवी एक्ट के प्रावधान के अनुसार स्थानीय न्यायालय में भेज दिया जाता है। साइबर अपराधियों ने चालान नंबर jh10389722062620244 एवं लिंक hhtps://echallan.parivahan.gov.in/index/accused-challan दिया, से नोटिस पाने वालों को सरकारी नोटिस का भ्रम हो।



साइबर क्राइम के बारे में जानकारी रखने वाले पुलिस पदाधिकारी ने कहा कि ई परिवहन, एम परिवहन जैसे कई ऐप हैं जिनमें गाड़ियों तथा गाड़ी मालिकों का पूर्ण विवरण रहता है। वहां से ही शायद साइबर अपराधी पूरा डिटेल लेकर साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं। जिससे सजग रहने की जरूरत है। लोगों को डायरेक्ट लिंक में जाने की बजाय पुलिस की मदद लेनी चाहिए।



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