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Bhopal. जन औष​धि सप्ताह के संदेश को घर घर पहुंचाते लोक कलाकार सुनील सरला, Folk artist Sunil Sarla spreading the message of Jan Aushadhi Week from house to house


Upgrade Jharkhand News. लोक माध्यम का मतलब है, ग्रामीण और कबीले के लोगों के लिए उपलब्ध संचार के साधन। इसे पारंपरिक मीडिया, स्वदेशी संचार प्रणाली, वैकल्पिक मीडिया, समूह मीडिया, सस्ता मीडिया भी कहते हैं। लोक माध्यमों का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। लोक माध्यम, सामाजिक मुद्दों, जागरूकता, और कृषि संबंधी संदेश देते हैं। लोक माध्यम, भाषा, भाषण, शब्दों, और संचार की अन्य बाधाओं को दूर करते हैं। लोक माध्यम, ग्रामीण समाज पर उनके स्वीकार्य मुहावरों, कार्यात्मक महत्व, और मनोरंजन घटक के कारण उल्लेखनीय प्रभाव डालते हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर के सुनील सरला लोक माध्यम के सशक्त कलाकार हैं। निरंतर जागरूकता कार्यक्रम से वे लोगों को विभिन्न मुद्दों पर जागरूक कर रहे हैं। 



प्रधानमंत्री की पहल पर, जन औषधियों की योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 1 से 7 मार्च को “जन औषधि सप्ताह ” के रूप में मनाया जा रहा है। इसके सार्थक संदेश को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने स्तर से पहल की सुनील सरला ने। लोक माध्यम के इस कलाकार का अंदाज ​बिल्कुल ही अनूठा है। वे इस कार्यक्रम की शुरुआत खेल गतिविधियों करते हैं। फिर आरंभ हो जाता है गीत। 

"ये फैसले का वक्त है तू आ कदम मिला

तू जिन्दा हैं तू जिंदगी की जीत पर यकीन कर 

अगर कहीं हैं स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर"

हम सबका यह अभियान है ,जन औषधि का पैगाम हैं

स्वस्थ रहेंगे हम सारे बच्चे ,तभी देश की शान हैं 

हमने मन में ठाना हैं जनऔषधि मित्र बनना हैं 

स्वच्छ रहना हैं स्वस्थ रहना हैं 

ये किताबें क्या कहती, इसके अंदर लिखा हैं क्या 

सारे सवालों का जवाब ढूंढ के हमको लाना है 

स्वच्छ रहना हैं स्वस्थ रहना हैं 

इस गीत के माध्यम से  सुनील सरला मनोरंजनपूर्ण तरीके से जनऔषधि मित्र बनने और  स्वस्थ रहने के लिए जागरूक करते हैं।उन्होंने बोल जमूरे बोल, सतवंती टोपी, नुक्कड़ नाटक, गीत संगीत, कठपुतली के माध्यम से जन औषधि  के महत्व को कुछ इस तरह बताया- 

"आओ आओ नाटक देखे

आओ आओ

भईया आओ दीदी आओ

आओ आओ

साचे कहे हैं कबीरा हो नाटक 

खोल दे मन का फाटक 

नाटक मन का फाटक खोले 

नाटक मन का फाटक 

निकल न निकल दीदी घर से घर से बहरिया

नाटक वाला आइल बाटे तोहरो दुअरिया हो

 मुनादी वाला : सुनो सुनो सुनो भाइयों बहनों कान लगाकर ध्यान लगाकर सुनो मुंगेर में जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है 

अख़बार वाला : आज की ताजा खबर,आज की ताजा खबर किलकारी में मनाया जा रहा हैं जन औषधि सप्ताह ।

आई आई किलकारी रानी 

किलकारी रानी आई हैं 

 आपने साथ नई बाते

नई जानकारी लाई हो

किलकारी रानी की जय 

 किलकारी रानी: तो फिर किस कारण हमारे 

मुंगेर के लोग परेशान रहते हैं?

मंत्री: महंगी दवाई के कारण हमारे मुंगेर की जनता बहुत परेशान रहती है

किलकारी रानी: तो फिर इसके लिए क्या किया जा रहा है ?

मंत्री: इसके लिए सस्ती  और गुणवत्तापूर्ण दवाओं के प्रति जागरूकता लाने के लिए किलकारी बाल केंद्र में गीत संगीत कठपुतली के माध्यम से जन औषधि के लिए जागरूक किया जा रहा है।

किलकारी रानी: तो चलो चलकर देखते हैं ।

बीमारी : हां हां हां मैं हूं बीमारी मैं कहां से आई,किसने हमें बुलाई। रिश्ते में तो आप हमारे माई बाप लगते हैं, नाम है मेरा बीमारी। कुछ लोग मुझे प्यार से रोगी भी कहते हैं। जब कोई मूर्ख इंसान अपनी बीमारी को छिपाते हैं,डॉक्टर से इलाज नहीं कराते, समय पर दवा नहीं खाते तो मैं बीमारी मनुष्य को अंदर ही अंदर से खोखला कर देती हूं और सीधे सदर अस्पताल पहुंचा देती हूं लेकिन ये क्या जन औषधि सप्ताह, सस्ती  और गुणवत्तापूर्ण दवाओं के प्रति जागरूकता,प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना अब तो भाग चलने में ही भलाई हैं।

हम सभी शपथ लेते हैं कि जनऔषधि मित्र बनकर इसका प्रयोग स्वयं के स्वस्थ रहने के साथ साथ अपने परिवार, गांव, समाज को इसके बारे में जानकारी देंगे। जनऔषधि का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर करेंगे।

घर घर अलख जगाएंगे हम बदलेंगे जमाना 

घर- घर अलख जगायेंगे  , हम बदलेंगे ज़माना।

निश्चय हमारा, ध्रुव- सा अटल है।

काया की रग- रग में, निष्ठा का बल है॥

जागृति शंख बजायेंगे, हम बदलेंगे ज़माना॥

बदली हैं हमने अपनी दिशाएँ।

मंजिल नई तय कर के दिखाएं॥

धरती को स्वर्ग बनायेंगे, हम बदलेंगे जमाना॥

श्रम से बनायेंगे, माटी को सोना।

जीवन बनेगा, उपवन सलोना॥

मंगल सुमन खिलाएँगे, हम बदलेंगे जमाना॥

देश की ताकत हम बच्चे, देश की दौलत हम बच्चे, देश की इज्जत हम बच्चे।

जब  सुनील सरला कार्यक्रम प्रस्तुत करने मुंगेर आए तो उनकी प्रस्तुति और संवाद शैली से प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के  नोडल पदाधिकारियों को भी  मानना पड़ा कि लोक माध्यम से प्रभावी तरीके से संदेश को पहुंचाया जा सकता है। उनकी प्रस्तुति के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। सुनील सरला ने इससे पहले गंगा बचाओ, पर्यावरण संरक्षण, जल जीवन हरियाली, नीम, तुलसी और पीपल लगाओ, सहकारिता जैसे मुद्दों पर भी अभियान चलाया है। कुमार कृष्णन



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