Guwa (Sandeep Gupta) । केन्द्रीय विद्यालय, मेघाहातुबुरु परिवार की ओर से प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार के नेतृत्व में 7 मार्च को विद्यालय प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिकाओं और सहयोगी महिला सदस्यों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसमें मुख्य अतिथि महिला समिति की अध्यक्ष स्टेला सेलबम, विशिष्ट अतिथि प्रशस्ति नायक, प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार और अन्य शिक्षिकाओं ने हिस्सा लिया। इसके बाद विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर अतिथियों का अभिनंदन किया गया। महिला दिवस के उपलक्ष्य में विद्यालय परिवार द्वारा विशेष रूप से केक की व्यवस्था की गई।
मुख्य अतिथि स्टेला सेलबम, प्रशस्ति नायक और अन्य शिक्षिकाओं ने केक काटकर एक-दूसरे को खिलाया और महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया। विद्यालय परिवार की ओर से सभी शिक्षिकाओं और महिला सहयोगी स्टाफ को उपहार, ग्रीटिंग कार्ड और गुलाब फूल भेंट कर सम्मानित किया गया। महिलाओं और शिक्षकों के लिए विशेष क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके अलावा, महिलाओं के लिए सुई-धागा प्रतियोगिता भी रखी गई, जिसमें स्टेला सेलबम और रानी फरहत विजेता रहीं। सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि एवं महिला समिति की अध्यक्ष स्टेला सेलबम ने अपने संबोधन में कहा कि जिस देश में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार और अवसर मिलते हैं, वह देश विकास की ऊँचाइयों को छूता है।
केन्द्रीय विद्यालय, मेघाहातुबुरु की शिक्षिकाएं दूरस्थ सारंडा जंगल क्षेत्र में आकर ट्राइबल और अन्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाएं विज्ञान, तकनीक, शिक्षा और राष्ट्र-सेवा सहित सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अभी भी महिलाओं की सक्रियता अपेक्षाकृत कम है, लेकिन धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाना चाहिए, क्योंकि वे अपने कार्यस्थल की जिम्मेदारियों के साथ-साथ परिवार को भी संभालती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और महिलाओं को हर दिन सम्मान मिलना चाहिए, न कि केवल एक दिन।
प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि हमारा देश, समाज और परिवार तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक कि महिलाओं का पूर्ण रूप से विकास न हो। प्रारंभ से ही महिलाओं की स्थिति पुरुषों की तुलना में कमजोर रही है। हालांकि, आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बात कर रहे हैं, लेकिन महिलाओं को अब भी अपने अधिकारों, समानता और मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि घर से ही समानता का पाठ शुरू होना चाहिए। पुरुष और महिलाएं दोनों ऑफिस जाएं और घर के कामों में समान रूप से भाग लें। समाज को यह स्वीकार करना होगा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना किसी भी क्षेत्र में संपूर्ण विकास संभव नहीं है। विशिष्ट अतिथि प्रशस्ति नायक ने महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश के विकास में महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और उन्हें अधिक से अधिक अवसर मिलने चाहिए ताकि वे देश के विकास की धुरी बन सकें।
इस कार्यक्रम में महिला समिति की अध्यक्ष स्टेला सेलबम, प्रशस्ति नायक, प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार, राई बानरा, सरिता गोंड, स्वाती कुमारी, निधि, तनुश्री प्रधान, कंचन शर्मा, रीता सिंह, आशा माधुरी मरांडी, मोनी कुमारी, रानी फरहत, सजदा परवीन, अंजू कुमारी, संगीता सीट, यशमती हेम्ब्रम, दीपक कुमार, मणी हर्ष दुबे, विनय गौर, सुजीत कुमार, अंशुल सिरोही, अभिजीत कौशल, उपेन्द्र श्रीवास्तव सहित अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।
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