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Jamshedpur. गोपाल मैदान बिस्टुपुर में दो दिवसीय PMFME महोत्सव का शुभारंभ , मंत्री संजय प्रसाद यादव ने किया उद्घाटन , 50 से अधिक स्टॉल लगाए गए, Two-day PMFME festival started at Gopal Maidan Bistupur, inaugurated by Minister Sanjay Prasad Yadav, more than 50 stalls were set up,


 

Jamshedpur (Nagendra) । प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत कोल्हान प्रमंडल स्तरीय PMFME महोत्सव का उद्घाटन समारोह जमशेदपुर के गोपाल मैदान में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय मंत्री उद्योग, श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग, झारखण्ड सरकार, माननीय संजय प्रसाद यादव शामिल हुए। इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती बारी मुर्मू, सचिव उद्योग, झारखंड अरवा राजकमल, उपायुक्त सरायकेला खरसांवा रविशंकर शुक्ला, निदेशक उद्योग, झारखंड सुशांत गौरव, उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम अनन्य मित्तल, उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान, एसडीएम धालभूम श्रीमती शताब्दी मजूमदार, डीएम डीआईसी रविशंकर प्रसाद की गरिमामई उपस्थिति रही।      


प्रमंडल स्तर पर दो दिवसीय आयोजित इस कार्यक्रम में कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों के पीएमएफ़एमई अंतर्गत 50 विभिन्न प्रकार के वित्त पोषित इकाइयों ने अपनी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जिनमें डेयरी प्रसंस्करण, मिलेट्स (रागी), मशरूम, अनाज प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण एवं सीड केपिटल से संबंधित इकाई शामिल रहे। खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी उपकरणों का प्रदर्शन भी आपूर्तिकर्ता द्वारा उद्यमियों के सुविधा हेतु किया गया। माननीय मंत्री द्वारा विभिन्न स्टॉल का निरीक्षण कर उत्पादों की जानकारी ली गई एवं प्रादर्श की सराहना की गई। महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में मंत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में असंगठित रूप से कार्य कर रहे छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का निर्माण करना है। इस योजना के तहत राज्य के वैसे उद्यमी, व्यक्ति अथवा समूह जो छोटे स्तर पर अथवा बड़े स्तर पर खाद्य पदार्थों का उत्पादन करती है, अथवा खाद्य पदार्थों का पैकेजिंग करती है उन्हें परियोजना लागत के 35% की दर से 10 लाख रू० प्रति यूनिट की अधिकतम पूँजीगत अनुदान का प्रावधान किया गया है।


मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत किसान उत्पादक संगठन (एफ०पी०ओ०), किसान उत्पादक कंपनियों (पी०एफ०सी०), सहकारिता, स्वयं सहायता समूह (एस०एच०जी०) को परियोजना लागत का 35% की दर से तीन करोड़ से अधिकतम दस करोड़ रू० तक की अधिकतम पूजीगत अनुदान का प्रावधान किया गया है। राज्य के वैसे एस०एच०जी०, जो खाद्य पदार्थों का प्रसंस्करण भी करते हैं और उन्हें वर्किंग कैपिटल तथा छोटे-छोटे औजार खरीदने की आवश्यकता है तो इस कार्य के लिए प्रारम्भिक तौर पर उनके फेडरेशन के स्तर पर प्रत्येक सदस्य को चालीस हजार रूपये की दर से पूंजी दिये जाने का प्रावधान किया गया है। जो व्यक्ति अथवा संस्था खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के लिए उसका मानकीकरण और सुरक्षा मानकों का पालन करने के साथ पैकेजिंग और ब्राडिंग भी करते हों तो उन्हें भी इस योजना के तहत सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।


माननीय मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत अनुदान का प्रावधान टर्म लोन की राशि पर किया गया है । वित्तीय वर्ष 2024-25 में झारखण्ड में कुल 1638 पी०एम०एफ०एम०ई० लोन स्वीकृत किये गए है, जिसमे पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला खरसावां जिलों में 500 से अधिक इकाइयों की स्थापना हुई है। सूक्ष्म उद्यमों को एक्सपोजर एवं सतत बढ़ावा देने के लिए प्रमण्डल स्तरीय इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है । माननीय मंत्री ने राज्यवासियों से अपील किया कि राज्य में खाद्य पदार्थों का उत्पादन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग करने का कार्य छोटे स्तर पर अधिक से अधिक संख्या में करें ताकि हमारा झारखण्ड आत्म निर्भर हो सके। यह योजना देश एवं झारखण्ड की जनता को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रारम्भ की गयी है। 



इस योजना के तहत सरकार छोटे-छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है, ताकि हमारी जनता आत्म निर्भर बने एवं हमारे राज्य एवं देश को आत्म निर्भर बनाने में अपना योगदान दे सके। माननीय मंत्री ने कहा कि इस योजना का लाभ लेने के लिए आम जनता बैंकों के चक्कर न लगाए, इसके लिए जिले के डी०आर०पी० के द्वारा उनके आवेदन को भरने एवं बैंक में ऋण की स्वीकृति में सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होने बैंकों से कहा कि वे आवेदनों की जाच में देर न करें, और अच्छे आवेदनों को जल्द से जल्द स्वीकार कर भुगतान करे। इस से दूसरे लोगों को भी योजना के प्रति विश्वास पैदा होता है, और ज्यादा से ज्यादा लोग इस योजना से जुड़ने के बारे में सोचते हैं। उन्होने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में झारखण्ड में फूड प्रोसेसिंग उद्योग से और भी बहुत सारे लोग जुड़ेंगे, और झारखण्ड की छवि न केवल भारी उद्योगों, बल्कि छोटे-छोटे खाद्य प्रसंकरण उद्योगों के केंद्र के रूप में पूरे भारत वर्ष में जानी जायेगी।



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