- भगवान सिंह की कथनी कुछ, करनी कुछ और
Upgrade Jharkhand News । कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तथाकथित प्रधान सरदार भगवान सिंह पर शब्दबाण छोड़ते हुए कहा कि उनकी कथनी कुछ होती है, करनी कुछ और होती है। बयान से मुकरने और पलटने की पुरानी आदत है और समझते हैं कि संगत की याददाश्त तो है नहीं और उन्हें वह बेवकूफ बना सकते हैं? बयान देकर सुर्खी बटोरी कि एक व्यक्ति, एक इलाका, एक वोट का अधिकार देंगे किंतु 24 घंटे में ही मुकर गए।
वे कहते हैं कि धक्के से किसी को प्रधान नहीं बनने देंगे किंतु मानगों में उन्होंने किया क्या है? तीसरी बार प्रधान है और कहने तथा दिखावे के तौर पर अपने सगे रिश्तेदार हरजिंदर सिंह को प्रधान कहते हैं? लेकिन गुरुद्वारा के मिनट्स बुक एवं स्कूलों में हुई बहालियों से साफ पता चलता है कि सारे फैसले उनके खुद के द्वारा किए गए हैं, जो संविधान के विपरीत है। धक्के के जोर पर ही केंद्रीय कमेटी के प्रधान बने थे जबकि एक अन्य प्रत्याशी हरमिंदर सिंह मिंदी ने समय मांगा और नहीं मिलने पर बहिष्कार कर दिया था। दिखावे के तौर पर वोटिंग की गई, वह सब धक्केसाही से हुआ।
मीडिया पर दोषारोपण करते हैं कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि किसी भी हालत में दबंगता पूर्वक प्रधान नहीं बनाया जाएगा. मीडियाकर्मी अपनी जिम्मेदारी, जवाबदेही तथा बैनर की मर्यादा समझते हैं। अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने भगवान सिंह से पूछा है कि वह बताएं दबंगता और धक्के में फर्क क्या है? सत्ताधारी के करीबी होने के दंभ में धक्के से ही उन्होंने बारीडीह में प्रधान बनाया, सीतारामडेरा में मनमर्जी की। कुलविंदर सिंह के अनुसार मेरा एक मित्र प्रधान जो इसकी जी हुजूरी कर रहा है उसको इसने समय सीमा के बाद भी बना रखा है, यह सब धक्केसाही से ही तो हो रहा है। धक्के शाही और दबंगता क्या होता है इसका जवाब समय आने पर इन्हें मिल जाएगा।
No comments:
Post a Comment