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Jamshedpur. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट : कुलविन्दर, Supreme Court should take cognizance of Allahabad High Court's decision: Kulvinder


Upgrade Jharkhand News । कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र द्वारा दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने की अपील की है। अपने एक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय ने कहा है, “स्तनों को पकड़ना, उसके पाजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना… बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है.” कोर्ट ने ‘अपराध की तैयारी’ और ‘सच में अपराध करने का प्रयास’ करने में अंतर भी बताया है।



माननीय जस्टिस की यह परिभाषा देश के महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। शातिर अपराधी निचली अदालतों में बचाव करने के लिए इस फैसले को अस्त्र की तरह इस्तेमाल करेंगे। कुलविंदर सिंह कहते हैं कि एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि छत से धक्का दिया है, हत्या करने की कोशिश थोड़ी की है। कुलविंदर सिंह के अनुसार महाराष्ट्र में भी हाई कोर्ट की महिला जस्टिस ने दुष्कर्म के प्रयास में ऐसी व्याख्या दी थी, जिससे पूरा समाज शर्मसार हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे फैसले को पलटा था और आज भी इस  इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटने की जरूरत है। जिससे लोगों की आस्था न्यायपालिका पर बनी रहे और अपराध कर्मियों पर भय बना रहे।



वही कुलविंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि उनके "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" का संकल्प कैसे पूरा होगा?  जब कोई जस्टिस इस तरह का फैसला देगा। ऐसे में इस जस्टिस को पद मुक्त करने के लिए संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मिलकर प्रयास करें और महाभियोग प्रस्ताव संसद से पारित करवा कर ऐसे जस्टिस को पद मुक्त करें। यदि किसी राजनीतिक दल के सांसद, विधायक अथवा नेता ने बयान दिया होता तो आज टीवी में डिबेट होता और उसकी धज्जियां उड़ाई जाती।



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