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Mumbai. नहीं रहे गुजरे जमाने के दिग्गज अभिनेता राकेश पाण्डेय, Veteran actor Rakesh Pandey is no more


Mumbai (Kali Das) हिंदी और भोजपूरी फिल्मों के दिग्गज अभिनेता राकेश पाण्डेय अब हमारे बीच नहीं रहे। शुक्रवार (21मार्च) को सुबह 8.51बजे जुहू, मुंबई स्थित अपने आवास में उन्होंने 79 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। अभिनेता राकेश पाण्डेय ने अपना फिल्मी करियर 1969 में प्रदर्शित फिल्म-'सारा आकाश' से किया था। 1969 में प्रदर्शित फिल्म-'सारा आकाश' उपन्यासकार राजेन्द्र यादव के उपन्यास पर आधारित थी। इस फिल्म को राष्ट्रपति अवार्ड से नवाज़ा गया था। 1979 में प्रदर्शित भोजपुरी फिल्म- 'बलम परदेसिया' ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर उस दौर में दम तोड़ती भोजपुरी फिल्मों के अस्तित्व को पुनर्जीवित किया था। इस भोजपुरी फिल्म के नायक थे-राकेश पाण्डेय।


यूं देखा जाय तो 60 के दशक में जब फिल्मों में अभिनेता राकेश पाण्डेय का फिल्मों में पदार्पण हुआ था। उस वक़्त के आगंतुकों के बीच का उन्हें दिलीप कुमार कहा जाने लगा था। वैसे जिन्होंने सुपर स्टार राजेश खन्ना की फिल्म-'अमर प्रेम' देखी होगी उन्हें, फिल्म के कैरेक्टर आनंद बाबू की पत्नी के भाई का कैरेक्टर याद ही होगा जो पुष्पा (शर्मिला टैगोर) के पास जा कर आनंद बाबू को उसके पास आने से मना करने को कहता है। अपनी छोटी सी भूमिका में अभिनेता राकेश पाण्डेय सिने दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब रहे। बॉलीवुड के नामचीन निर्माता निर्देशक भी उस दौर में उन पर ध्यान देने लगे थे।


सन 1946 में हिमाचल प्रदेश में जन्मे  अभिनेता  राकेश  पाण्डेय ने शमशेर हाई स्कूल नहान (हिमाचल प्रदेश) 1961 में मैट्रिक करने के बाद जे आर आर कॉलेज (हिमाचल प्रदेश) में अपनी पढ़ाई पूरी की और भारतेन्दु एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स से स्नातक की डिग्री के पश्चात इन्होंने इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट (पुणे) की ओर अपना रुख किया। 1966 में यहाँ से एक्टिंग का कोर्स कंप्लीट करने कर बाद ये इप्टा से जुड़ गए और थियेटर की दुनियां में क्रियाशील हो गए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बचपन से ही रुचि रखने वाले अभिनेता राकेश पाण्डेय को इंग्लिश, हिन्दी, ब्रजभाषा, भोजपुरी और देश के अन्य प्रदेशों में प्रचलित क्षेत्रीय भाषाओं का भी गहरा ज्ञान था। बतौर नायक और चरित्र अभिनेता 80 भोजपुरी फिल्मों में अभिनेता राकेश  पाण्डेय ने काम किया था और दो भोजपुरी फिल्मों का निर्देशन भी किया था। इन्हें चतुर्थ भोजपुरी अवार्ड समारोह में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिल चुका है। साथ ही साथ भोजपुरी फिल्मों में विशेष योगदान के लिए दादा साहब फालके अकादमी द्वारा उन्हें दादा साहब सम्मान पत्र व स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया था।



'सारा आकाश'(1969), दो राहा (1971), रखवाला (1971), मान जाइये (1972), अमर प्रेम (1972), कुंवारा बदन (1973), इंतज़ार (1973), 'हाथी के दाँत' (1973), 'दिल की राहें'(1973), 'वो मैं नहीं' (1974), 'उजाला ही उजाला' (1974), 'शिकवा' (1974), 'शतरंज के मोहरे'(1974), 'दो चट्टाने'(1974), 'एक गाँव की कहानी' (1975), 'ज़िन्दगी और तूफान'(1975), 'मुट्टी भर चावल' (1975), 'हिमालय से ऊँचा'(1975), 'अपने दुश्मन' (1975), आंदोलन' (1975), 'जीवन ज्योति' (1976), 'आरम्भ' (1976), 'ज़िन्दगी'(1976), 'यही है ज़िन्दगी' (1977),'टूटे खिलौने' (1978), 'दरवाज़ा' (1978), 'मेरा रक्षक' (1978), 'बलम परदेशिया' (भोजपुरी-1979),'मंजिल' (1979), 'गोरी दियाँ झंजरण' (ब्रजभाषा-1980), 'अब्दुल्लाह'(1980), 'नई इमारत' (1981), 'महाबली हनुमान'(1981), 'धरती मैया' (भोजपुरी-1981) 'संत ज्ञानेश्वर' (1982), 'अपराधी कौन' (1982), 'माया बाजार'(1984), 'चाँदनी बनी चुड़ैल' (1984) 'भैया दूज' (भोजपुरी-1984), 'युद्ध'(1985), 'ज़ेवर' (1987), '108 तीर्थ यात्रा' (1987), 'जवानी की लहरें'(1988),   'चिंतामणि सूरदास' (1988), 'ईश्वर' (1989), 'मेहबूब मेरे महबूब' (1992), 'अधर्म' (1992), 'द मेलोडी ऑफ लव' (1993), 'गोपाला'(1994), 'बेटा हो तो ऐसा' (1994), 'तक़दीर वाला'(1995), 'भीष्म' (1996), 'सर कटी लाश' (1999), 'ब्रिज कौ बिरजू' ( ब्रज भाषा-1999), 'हसीना डकैत (2001), 'इंडियन' (2001), 'दिल चाहता है' (2001), 'बिरसा-द ब्लैक आयरन मैन'(2004), 'स्टेइंग अलाइव' (2007) और 'मालिक एक' (2010) जैसी अनगिनत सफल फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा विखेर चुके अभिनेता राकेश पाण्डेय छोटे पर्दे पर भी 'जाट की जुगनी', 'साँस', 'देवी', 'छोटी बहू', 'दहलीज़', 'सरोजनी-एक नई पहल' 'उतरन' और 'हैप्पी होम' आदि धारावाहिकों में भी नजर आए थे। साथ ही साथ उन्होंने 'सात फेरे', 'जान मारे गोरिया', और 'मैला आँचल' जैसी कई अलबमों में भी काम किया था।



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