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Chandil. शहीद जिरपा लाया के शहादत दिवस पर जन्मभूमि व शहादत स्थल में दी गई श्रद्धांजलि , Tribute paid to martyr Jirpa Laya on his martyrdom day at his birthplace and martyrdom site


Upgrade Jharkhand News. ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रथम संगठित आंदोलन के 'भूमिज विद्रोह' के प्रमुख सेनापति शहीद जिरपा लाया के 198 वां शहादत दिवस के अवसर पर जिरपा लाया के जन्मभूमि नीमडीह प्रखंड के बुड़ीबासा गांव में समारोह आयोजित कर श्रद्धांजलि दी गई।इसके पूर्व जिरपा लाया के शहादत स्थल पश्चिम बंगाल के बेड़ादा गांव में भी देशभक्त नागरिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्य अतिथि के रूप में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के वंशज बुधराम सिंह मुंडा, विशिष्ट अतिथि के रूप में टाटा स्टील ट्राईबल डिपार्टमेंट के शिव शंकर कडियांग व आमंत्रित अतिथि के रूप में प्रसिद्ध हाथी खेदा मंदिर के लाया गिरजा प्रसाद सिंह सरदार उपस्थित थे। 



मुख्य अतिथि बुधराम सिंह मुंडा ने कहा कि हमारे पूर्वजों के वीरगाथा को नई पीढ़ी को जानकारी रखना आवश्यक है। कहा कि भूमिज विद्रोह तत्कालीन बंगाल राज्य अब झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के मिदनापुर,  बराभूम, धालभूम व सिंहभूम क्षेत्र में स्थित भूमिज आदिवासियों का ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध किया गया विद्रोह है। गंगा नारायण सिंह के नेतृत्व में 1832-33 में भूमिजों का एक संगठित विद्रोह हुआ। यह भारतीय इतिहास का पहला संगठित विद्रोह था। इसे 'चुआड़ विद्रोह' भी कहा जाता है तथा इस विद्रोह को अंग्रेजों ने 'गंगा नारायण का हंगामा' भी कहा है। 



इसी विद्रोह का प्रमुख सेनापति वीर पुरुष जिरपा लाया थे। समारोह को बाड़ेदा पंचायत के मुखिया वरुण कुमार सिंह ने संचालन किया। इस अवसर पर शहीद जिरपा लाया के वंशज कमल सिंह, बुलु सिंह, अपिन सिंह, यादव सिंह व फूलचांद सिंह, राधाकृष्ण सिंह मुंडा, बूधेश्वर सिंह सरदार, हंसराज सिंह सरदार, प्रियंका सिंह आदि उपस्थित थे।



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