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Mumbai. श्रद्धांजलि- नहीं रहे अभिनेता मनोज कुमार.!, 87 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस!, बॉलीवुड में शोक की लहर, Tribute- Actor Manoj Kumar is no more!, took his last breath at the age of 87!, wave of mourning in Bollywood,


 Mumbai (Kali Das)  भारतीय फिल्म जगत के मशहूर निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक, लिरिक्स राइटर और अभिनेता मनोज कुमार का निधन 87 वर्ष की आयु में 4 अप्रैल को अहले सुबह कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए  विख्यात मनोज कुमार को फिल्म इंडस्ट्री में 'भारत कुमार' के नाम से भी पुकारा जाता था। उन्हें पद्म श्री और दादा साहब फाल्के पुरस्कार सहित कई अन्य सम्मान भी प्राप्त हुए थे। उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 1957 में आई फिल्म 'फैशन' से की थी। इसके बाद 1961 में उनकी फिल्म 'कांच की गुड़िया' रिलीज हुई।



इस फिल्म में वह बतौर लीड अभिनेता नजर आए थे, जो सफल रही। मनोज कुमार ने 'सहारा' (1958), 'चांद' (1959) और 'हनीमून' (1960) जैसी फिल्मों में खाम किया और फिर उन्हें मिली 'कांच की गुड़िया' (1961) जिसमें वो पहली बार लीड रोल में दिखे। इसके बाद 'पिया मिलन की आस' (1961), 'सुहाग सिंदूर' (1961), 'रेशमी रूमाल' (1961), 'हरियाली और रास्ता' (1962), 'शादी' (1962), 'डॉ. विद्या' (1962), गृहस्थी (1963) आई। उन्हें सबसे अधिक सफलता साल 1962 में विजय भट्ट की 'हरियाली और रास्ता' से मिली जो कमर्शियली हिट रही। फिल्म में माला सिन्हा थीं। मनोज कुमार ने 'वो कौन थी' (1964), 'शहीद' (1965), 'गुमनाम' (1965), 'सावन की घटा' (1966), 'दो बदन' (1966), 'उपकार' (1967), 'पत्थर के सनम' (1967), 'अनिता' (1967), 'नील कमल' (1968), 'साजन' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970), 'पहचान' (1970), 'मेरा नाम जोकर' (1970), 'यादगार' (1970), 'बेईमान' (1972), 'शोर' (1972), 'रोटी कपड़ा और मकान'(1974), 'संन्यासी' (1975), दस नंबरी' (1976), अमानत (1977), 'क्लर्क' (1989) और 'क्रांति' (1981) जैसी कमाल की कई फिल्में दीं, जिन्हें सिनेप्रेमियों की जमात कभी भुला नहीं पाएगी। आज भले ही मनोज कुमार हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन वो अपनी फिल्मों के जरिए सिनेदर्शकों के दिलोदिमाग में युगों युगों तक छाए रहेंगे। 



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