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Bhopal. स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं केमिकल से तैयार फल, Fruits prepared with chemicals are proving to be harmful for health


Upgrade Jharkhand News. देश के हर एक शहर की तरह ही पंजाब के फिरोजपुर में रोजाना पांच  से छह ट्रक कच्चे पपीते के उतारे जा रहे हैं , कच्चा पपीता और कच्चा केला भी भारी मात्रा में आ रहा है ।कुछ लालची लोग फलों को केमिकल से पका कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं ,यह काम चोरी छिपे नहीं बल्कि मंडी में बड़े धड़ल्ले से हो रहा है। जब हमने इस स्थिति का जायजा लेने के लिए सब्जी मंडी के थोक विक्रेता से संपर्क किया तो यह सुनकर दंग रह गए कि हर रोज तीन से चार टन कच्चा पपीता एथिलीन से दो-तीन दिन में पकाकर तैयार किया जाता है जो नेचुरल पपीते से भी ज्यादा पीला और चमकदार होता है। यह आम पपीते से मीठा भी होता है।



फिरोजपुर शहर और छावनी की सब्जी मंडी में 100 से ज्यादा पपीते की रेहड़ियों लगती है जो विभिन्न विभिन्न क्षेत्रों में पपीता बेचती हैं। फ्रूट के नाम पर सरे आम जहर परोसा जा रहा है। बड़े-बड़े स्टोरों में पपीते को कागज में लपेटकर एथीलीन की पुड़िया रखी जाती है या फिर बड़े-बड़े बोरों में बंद करके एथिलीन रख दी जाती है। एथिलीन के प्रभाव से पपीता जल्दी पक जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसी प्रकार कच्चे केले को पकाया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि नेचुरल पपीता इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ लीवर के लिए काफी लाभदायक साबित होता है ,इसके सेवन से आदमी का स्वास्थ्य ठीक रहता है ,परंतु यदि पपीते को केमिकल लगाकर पकाया जाता है वह न केवल हानिकारक है बल्कि लोगों को मौत के मुंह में भी धकेल रहा है। जहरीला पपीता दिमाग के साथ किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है। मार्केट में कई फल जैसे आम ,पपीता, केला को केमिकल से पकाकर बेचा जा रहा है जो बच्चों बुजुर्गों सभी के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।



डॉक्टर डेविड (बाल रोग विशेषज्ञ) का कहना है कि केमिकल से पके फ्रूट इंसानों के लिए घातक है ,इसके ज्यादा सेवन से उल्टी, दस्त ,सिर दर्द एवं किडनी पर कुप्रभाव पड़ता है । सिर दर्द ,नींद ज्यादा आना ,स्किन और आंखों पर भी असर डालता है। लोगों को पपीता खरीदने से पहले 100 बार सोचना चाहिए। थोक विक्रेता कागज में लपेटकर 10-15 पपीतों के बीच एथीलीन की पुड़िया रख देते हैं ,कई बार पपीते को बड़ी-बड़ी बोरियों से ढक कर उनमें पुड़िया रखी जाती है। दो-चार दिन के बाद पपीता पूरी तरह तैयार हो जाता है।  नेचुरल तरीके से पका हुआ पपीता कभी पूरी तरह पीला नहीं होता, पूरे पपीते का रंग एक जैसा नहीं होता ,सही ढंग से पका हुआ पपीता पीले रंग के साथ-साथ हरे रंग का भी होता है ,सही तरीके से पका हुआ पपीता सफेद एवं काले रंग में भी होता है। केमिकल से पके हुए फल फूल पीले और चमकदार होते हैं। विशेषज्ञों  का मानना है कि यदि एथिलीन का अंश फटे हुए केले या पपीते के भीतर चला जाए तो पूरे फल को जहर में बदल देता है। फ्रूट खरीदते समय सदैव सावधान रहे कि कभी भी फटे कटे फल ना खरीदें।



वही जब सिविल सर्जन राजविंदर कौर से संपर्क किया गया  तो उन्होंने बताया कि यह गंभीर मसला है जो भी लोग लोग लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं विभाग उन लोगों पर सख्त कार्रवाई करेगा। सब्जी मंडी में फ्रूट स्टोरो की चेकिंग की जाएगी। एथिलीन से पके हुए फ्रूट को नष्ट करवाया जाएगा। पूरे एशिया में फ्रूट को पकाने के लिए कई प्रकार के केमिकलों का प्रयोग किया जा रहा है ,लेकिन यह जोखिम भरा कार्य है। फलों पर कई प्रकार के केमिकलों का स्प्रे किया जा रहा है। अत: फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। साय: 5 बजे के पश्चात स्थानीय नमक मंडी में  सड़े गले फलों की रेहड़ियां सज कर तैयार हो जाती है। मध्यम और गरीब श्रेणी के लोग जमकर इन फलों की खरीददारी करते देखे जा सकते हैं लेकिन इन फलों को खाने के पश्चात लोगों को बड़े पैमाने पर  विभिन्न बीमारियां जकड़ रही है। स्वास्थ विभाग ने भी अब तक इस तरफ कोई ध्यान  नहीं दिया है। सुभाष आनंद



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