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Chaibasa. पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी समाज और पूरे देश को गौरवान्वित की है--प्राचार्य डॉ. मनोजित विश्वास, The first tribal woman President Draupadi Murmu has made the tribal society and the entire country proud--Principal Dr. Manojit Biswas


  • नोवामुंडी कॉलेज में आदिवासी अर्थव्यवस्था और समाज पर महिलाओं का प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी
  • आदिवासियों के अधिकार और सम्मान की  सुरक्षा व विकास के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है---प्रो. सुमन चातोम्बा

Guwa (Sandeep Gupta) नोवामुंडी कॉलेज में प्राचार्य डॉ. मनोजित विश्वास के निर्देश पर, इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. सुमन चातोम्बा की अध्यक्षता में अब्दुल कलाम डिजिटल कक्ष में ‘आदिवासी अर्थव्यवस्था और समाज पर महिलाओं का प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी अर्थव्यवस्था और समाज में महिलाओं की भूमिका, उनके योगदान और प्रभाव को उजागर कर विद्यार्थियों को जानकारी प्रदान करना था। इस अवसर पर प्रतिभागी छात्रों और विभिन्न विषयों के शिक्षकों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई और विषय पर गहन चर्चा की।


कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोजित विश्वास ने आदिवासी महिलाओं की भूमिका को समाज और अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं से जोड़ते हुए, उनके ऐतिहासिक महत्व और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं ने अपने कठोर परिश्रम और अदम्य साहस से समाज को नई दिशा दी है। प्राचार्य ने कहा कि देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, जिन्होंने न सिर्फ आदिवासी समाज को बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उनके जीवन संघर्ष और उपलब्धियां सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। प्राचार्य ने कहा कि अपने परिश्रम और साहस के बल पर आज आदिवासी समाज की महिलाएं धरातल से उठकर शिखर पर पहुँच गई हैं। उन्होंने सारंडा वन क्षेत्र में स्थित आदिवासी बहुल इलाका नोवामुंडी कॉलेज का उदाहरण प्रस्तुत कर कहा कि इस कॉलेज में 80 प्रतिशत छात्राएँ आदिवासी समुदाय से हैं, जो आज पढ़-लिखकर समाज में जागरूकता फैला रही हैं। यहां की छात्राएँ घरेलू कामों के अलावा बाहरी कामों में भी पारंगत हैं। 



उन्होंने कहा कि नोवामुंडी कॉलेज में अध्ययन कर रहीं छात्राएँ खेलकूद, वाद-विवाद, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर प्रदर्शन के लिए बाहर भी जाती हैं। इस प्रकार वे अपने समाज के साथ कॉलेज का नाम भी रोशन कर रही हैं। इतना ही नहीं, आज लड़कियां शिक्षित होकर नौकरी के लिए भी बाहर जा रही हैं। विभागाध्यक्ष प्रो. सुमन ने कहा कि आदिवासी समाज और अर्थव्यवस्था में 'हो' महिलाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, महिलाएँ अपने पारिवारिक ज्ञान और मेहनत से न केवल अपने परिवार को संबल देती है बल्कि समाज की आर्थिक व्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करती है। उनके द्वारा जंगल से मिलने वाली उपज, हस्तशिल्प, लघु उद्योग और कृषि आधारित कार्यो से आदिवासी अर्थव्यवस्था लगातर समृद्ध हो रहा है। इन महिलाओं की मेहनत के बावजूद इनके अधिकार और सम्मान की  सुरक्षा तथा विकास के लिए अभी और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। 



वहीं, कार्यक्रम में उपस्थित इतिहास विभाग की सहायक शिक्षिका श्रीमती मंजू लता सिंकू ने आदिवासी महिलाओं का समाज में स्थान, उनकी दयनीय स्थिति और उनके जीवन संघर्षों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि आदिवासी महिलाएं कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी समाज की सेवा में निरंतर लगी रहती हैं, और यही उनकी वास्तविक प्रकृति है। प्रतिभागी छात्र छात्राओं में सुदर्शन लागुरी,गीता कुमारी, कृपा लागुरी, प्रीति कुमारी, कविता लागुरी, सूरज जेराई, भारती हेस्सा, अनीश पुरती, अंकिता गोप, रोशनी पुरती, पुष्पा चातर, मंजू पुरती ने अपने-अपने विचार साझा कर कार्यक्रम को और अधिक ज्ञानवर्धक और रोचक बनाया। इस अवसर पर कॉलेज के प्रोफेसर परमानंद महतो, साबिद हुसैन,दिवाकर गोप, धनिराम महतो, संतोष पाठक, कुलजिन्दर सिंह,डॉ. क्रांति प्रकाश, सुमन चातोम्बा, हीरा चातोम्बा, मंजूलता सिंकु,  शान्ति पुरती आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुमन व   धन्यवाद ज्ञापन साबिद हुसैन ने प्रस्तुत किया।



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