Jamshedpur (Nagendra) । टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन का गोपालपुर इंडस्ट्रियल पार्क (जीआईपी) वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की प्रतिष्ठित "ट्रांज़िशनिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स इनिशिएटिव" का हिस्सा बन गया है। इस वैश्विक पहल का उद्देश्य दुनिया भर के औद्योगिक क्लस्टर्स से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के हितधारकों को एक साथ लाकर, CO2 उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाना है, साथ ही आर्थिक विकास और रोज़गार के अवसरों को सशक्त रूप से बढ़ावा देना है। यह पहल एक्सेंचर और इलेक्ट्रिक पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट (ई पी आर आई) के सहयोग से संचालित की जा रही है और इसका उद्देश्य सस्टेनेबल औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है—जो ऊर्जा दक्षता, नवाचार और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को बढ़ावा देते हुए बड़े पैमाने पर डीकार्बनाइजेशन की दिशा में ठोस कदम उठाए। ओडिशा के गंजाम ज़िले में स्थित गोपालपुर इंडस्ट्रियल पार्क (जीआईपी) तेजी से ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया और ग्रीन एनर्जी उपकरणों के निर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। सस्टेनेबल विकास पर स्पष्ट रूप से केंद्रित जीआईपी, अपने औद्योगिक विकास लक्ष्यों को भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के साथ जोड़कर आगे बढ़ेगा। इस मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उससे जुड़े उत्पादों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात में वैश्विक नेतृत्व दिलाना है।
टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक माणिकांत नायक ने कहा, “गोपालपुर इंडस्ट्रियल पार्क को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की इस परिवर्तनकारी पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है। ओडिशा में जारी तेज़ औद्योगीकरण, जिसमें जीआईपी जैसे बड़े औद्योगिक क्लस्टर शामिल हैं, हमें अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञता को एक कार्बन-मुक्त भविष्य के निर्माण में समर्पित करने के लिए नए अवसर प्रदान कर रहा है।”“ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा क्लस्टर्स पर जीआईपी का फोकस हमारे सतत औद्योगिक विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वैश्विक श्रेष्ठ प्रक्रियाओं और नवोन्मेषी साझेदारियों का लाभ उठाकर, हम भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में इसी तरह की कुछ और परियोजनाएं जीआईपी में स्थापित होंगी।”जीआईपी की उपलब्ध जमीन का लगभग 25% हिस्सा ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के लिए आवंटित किया गया है, जो राष्ट्रीय सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों के अनुरूप है। जीआईपी ने कई ग्रीन हाइड्रोजन कंपनियों के साथ भूमि के लीज और ब्लॉकिंग समझौते भी किए हैं, जिससे वार्षिक 2 मिलियन टन से अधिक ग्रीन अमोनिया की उत्पादन क्षमता संभव हो सकेगी, जिसमें लगभग 27,000 करोड़ रुपये से अधिक का बहु-चरणीय निवेश अनुमानित है। इन निवेशों के साथ, जीआईपी भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत 2030 तक देश के ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया उत्पादन लक्ष्य का लगभग 10% योगदान देने में सक्षम होगा।
जीआईपी के इंफ्रास्ट्रक्चर मास्टर प्लान में कई महत्वपूर्ण घटक शामिल हैं, जिनमें गोपालपुर पोर्ट से जीआईपी को जोड़ने वाला 2.5 किलोमीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा एक विशेष यूटिलिटी कॉरिडोर भी शामिल है, जो ग्रीन अमोनिया के सुरक्षित और कुशल वैश्विक निर्यात परिवहन को सुनिश्चित करेगा। जीआईपी ने पहले ही गोपालपुर पोर्ट के साथ सहयोग स्थापित कर लिया है ताकि ग्रीन अमोनिया के अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्बाध शिपमेंट को सुनिश्चित किया जा सके, जो भारत के निर्यात महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करता है। इसके अलावा, सतत और निरंतर जल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, जीआईपी में एक डीसैलिनेशन प्लांट स्थापित करने की योजना है, जो महत्वपूर्ण औद्योगिक जल आवश्यकताओं को पूरा करते हुए स्थानीय संसाधनों की सुरक्षा भी करेगा। जीआईपी भारत के पश्चिमी क्षेत्रों से विश्वसनीय ग्रीन पावर ट्रांसमिशन की सुविधा प्रदान करने के लिए भी काम कर रहा है, जो इसके स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा। इसके साथ ही, जीआईपी एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की दिशा में भी प्रयासरत है ताकि औद्योगिक अपशिष्ट जल का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित किया जा सके।
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