Jamshedpur (Nagendra) । एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ जनआक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पताल की छत गिरने से चार मरीजों की मौत के मामले की जांच में खेल की आशंका जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि हैदराबाद की कंपनी को जांच के दायरे से बाहर कर दिया गया है। अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस प्रकरण की जांच कहां तक पहुंची और अभी तक क्या कार्रवाई हुई ? इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आने से लोग नाराज हैं। इसी कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ विष्णु ने आज अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ डीसी ऑफिस के सामने जोरदार धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन को जमकर घेरा और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की।
सौरभ विष्णु ने बताया कि 3 मई 2025 को एमजीएम अस्पताल की मेडिसिन विभाग की छत गिरने से तीन बुजुर्ग मरीजों डेविड जॉनसन, लुकास साइमन तिर्की और श्रीचद तांती की मौत हो गई थी और इस हादसे में घायल एक महिला रेणुका देवी जो टीएमच में ईलाजरत थी, उसकी भी मौत हो गई। इसके अलावा कई अन्य मरीज गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। लेकिन हैरानी की बात है कि आज एक महीने बाद भी पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिला और न ही मृतकों का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है। सौरभ ने कहा कि ये मौतें सरकार और अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही का परिणाम हैं। सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आए इन बुजुर्गों को सुरक्षा देना प्रशासन की जिम्मेदारी थी, लेकिन आज उनके परिवार न्याय के लिए भटक रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के ठीक बगल में खुदाई का कार्य चल रहा था, जो KMV Project नामक हैदराबाद की कंपनी को दिया गया है। खुदाई के चलते मेडिसिन बिल्डिंग की नींव कमजोर हो गई थी, जिसे बांस और बल्लियों के सहारे अस्थायी रूप से ठीक किया गया था। इसी के चलते छत गिरने की आशंका जताई जा रही है। सौरभ का आरोप है कि पूरे मामले में KMV Project का नाम जांच में जानबूझकर शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि इस संबंध में 8 जून को साकची थाना में लिखित शिकायत भी दी गई थी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई जांच रिपोर्ट सामने आई है। सौरभ विष्णु ने कहा कि चूंकि वर्तमान डीसी हाल ही में पदभार ग्रहण किए हैं, इसलिए वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर अपनी बात उन तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। धरना प्रदर्शन में सैकड़ों लोग शामिल थे।
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